Wednesday 17 October 2018

आचार संहिता में बदले श्रीनगर ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी, कलक्टर को भी नहीं दी जानकारी


नवीन वैष्णव @अजमेर Exclusive
राजस्थान में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आदर्श आचार संहिता लग गई है। आचार संहिता में भी अजमेर के स्वास्थ्य विभाग में बीसीएमओ स्तर के अधिकारी भी बदले जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से मंगलवार को आदेश जारी कर बीसीएमओ का सम्पूर्ण चार्ज अन्य चिकित्साधिकारी को सौंपा गया है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ के के सोनी ने मंगलवार  16 अक्टूबर को श्रीनगर के ब्लॉक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का चार्ज डॉ अशोक कालरा से लेकर डॉ प्रफुल्ल को सौंपने के आदेश जारी किए। यह आदेश आचार संहिता में जारी किए जाने से स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसे आचार संहिता में जब सभी पद बदलने पर निर्वाचन की ओर से रोक लगाई है, ऐसे समय में पदभार क्यों दुसरे चिकित्साधिकारी को सौंपा गया। खास बात यह भी है कि जिला कलक्टर व निर्वाचन अधिकारी को भी इस आदेश को जारी करने से पहले अवगत तक नहीं करवाया गया।
नियमों के तहत है
सीएमएचओ डॉ के के सोनी ने कहा कि आचार संहिता लगी हुई है लेकिन उन्होंने कोई तबादला नहीं किया है। पूर्व में बीसीएमओ का पद रिक्त था जो गगवाना सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्सा अधिकारी डॉ अशोक कालरा को अतिरिक्त चार्ज दे रखा था। गगवाना भेजकर फाईलें हस्ताक्षर करवानी पडती थी। इससे परेशानी होती थी, इसलिए यह चार्ज श्रीनगर के ही चिकित्साधिकारी डॉ प्रफुल्ल को सौंप दिया है। उन्होंने भी माना कि जिला कलक्टर को इससे अवगत नहीं करवाया गया।
जांच के बाद कुछ कहना संभव
जिला कलक्टर आरती डोगरा से जब उक्त आदेश के संबंध में जानकारी चाही गई तो उन्होंने कहा कि ऐसे किसी भी आदेश की उन्हें जानकारी नहीं है। आज कार्यालय का अवकाश था तो जांच की प्रक्रिया नहीं हो सकी। गुरूवार को जांच की जाएगी और यदि खामी मिलती है तो नियमानुसार कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी।
ये आदेश हुए थे जारी
निर्वाचन विभाग की ओर से मुख्य निर्वाचन अधिकारी आनंद कुमार ने आचार संहिता लगने के बाद यह आदेश जारी किए थे कि कोई भी तबादला नहीं होगा और यदि किसी का तबादला हो गया और उसने कार्यभार ग्रहण नहीं किया तो वह दुसरे स्थान पर पदभार ग्रहण भी नहीं करेगा। वहीं बुधवार को जिला कलक्टर आरती डोगरा ने मुख्यालय छोड़ने या कार्यमुक्त होने पर भी प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए हैं। यदि किसी को विशेष परिस्थिति में छोड़ना पड़े तो स्वीकृति जिला मुख्यालय पर जिला कलक्टर और उपखण्ड मुख्यालय पर उपखण्ड अधिकारी ही प्रदान करेंगे अन्य किसी के पास यह अधिकार नहीं रहेगा।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
9252958987, 9351087614
17-10-2018
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Saturday 13 October 2018

तीर्थ नगरी में नशे की खेप के साथ तस्कर गिरफ्तार, लाखों की कीमत का है नशे का सामान


चप्पल के सोल में छिपाकर लाई गई थी नशे की खेप
नवीन वैष्णव@ अजमेर
तीर्थ नगरी पुष्कर की थाना पुलिस को नशे की खेप की सप्लाई देने आए तस्कर को दबोचने में कामयाबी मिली है। तस्कर के कब्जे से लगभग 200 ग्राम नशीला पदार्थ जप्त किया गया है जिसकी कीमत लाखों में है।
पुष्कर थाने के उपनिरीक्षक भंवरराम डूकिया ने बताया कि उन्हें मुखबिर से सूचना मिली कि मंदसौर का शातिर तस्कर पुष्कर में माल की डिलीवरी देने आ रहा है। इस पर उन्होंने जाल बिछाकर तस्कर को देवनगर रोड़ से दबोचा। उसे हिरासत में लेकर जब पूछताछ की गई तो उसने तीर्थनगरी में स्नान करने के लिए आना बताया। काफी समय तक वह पुलिस को गुमराह करता रहा। बाद में जब सख्ती से पूछताछ की तो उसने चप्पल के सोल में नशे का सामान छिपा होना कबूला। पुलिस की टीम ने जब चप्पल का सोल हटाया तो उसमें स्मैक और दो अन्य तरह के पाउडर मिले। डूकिया ने कहा कि तस्कर मंदसौर का रहने वाला 28 वर्षीय मंगल सुथार है। उसके कब्जे से 45 ग्राम स्मैक, 38 ग्राम सफेद और 98 ग्राम ब्राउन पाउडर जप्त किया गया है। इसकी कीमत लाखों में है। पकड़े गए तस्कर से माल की डिलीवरी लेने वाले और मुख्य तस्कर के बारे में पूछताछ की जा रही है।
तीर्थनगरी बनी नशे का ट्रांजिट पाइंट
पिछले कुछ सालों से तीर्थनगरी पुष्कर नशे का ट्रांजिट पाइंट बन गई है। यहां आने वाले विदेशी सैलानी नशे का सैवन करते हैं। इन्हें मनमांगे दामों पर नशा उपलब्ध करवाया जाता है। मोटा मुनाफा कमाने के लिए कई लोगों ने यह काम शुरू कर दिया है। विदेशियों को देखकर स्थानीय युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं जो कि खतरनाक है। पुलिस को चाहिए कि नशे की सप्लाई करने वाले स्थानीय लोगों पर भी कार्रवाई करे जिससे कि तीर्थनगरी के युवा नशे की लत से दुर रहे और यहां की पवित्रता भी बनी रहे।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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13-10-2018
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Monday 1 October 2018

पुरूष नसबंदी हुई फेल तो पति ने पत्नी के चरित्र पर किया संदेह, चिकित्साधिकारियों पर भ्रूण हत्या के दबाव का आरोप

नवीन वैष्णव@ अजमेर
अजमेर शहर में रहने वाले दम्पति के जीवन में इन दिनों भूचाल सा आया हुआ है। दरअसल पति द्वारा करवाई गई नसबंदी किसी कारणवश फेल हो गई और पत्नी गर्भवती हो गई। इससे पति को पत्नी के चरित्र पर संदेह हुआ और बात बिगड़ती चली गई। अब दम्पति चिकित्साधिकारियों पर भ्रूण हत्या के लिए दबाव डालने का आरोप जड़ रहे हैं।
अजमेर निवासी सीमा (बदला हुआ नाम) जो कि सरकारी विभाग की कर्मचारी है। सीमा के पति रमेश (बदला हुआ नाम) ने 2 दिसम्बर 2016 को परिवार सेवा के जरिए नसबंदी करवाई। सब कुछ सही चल रहा था लेकिन लगभग चार माह पहले सीमा गर्भवती हो गई। इसके साथ ही इनके परिवार में बवण्डर खड़ा हो गया। रमेश और उसके परिजनों ने सीमा के चरित्र पर संदेह करना शुरू कर दिया। वहीं अपने स्तर पर इसकी जांच भी करवाई गई जिसमें भी उसके ऑपरेशन को सफल ही बताया गया। इससे रमेश का शक ओर गहरा गया। रमेश की मानें तो स्वास्थ्य संकुल में जाकर इसकी शिकायत दी और सभी जांचे भी प्रस्तुत की लेकिन वहां उसे कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
कलक्टर के फोन पर दिखे गंभीर
सीमा ने बताया कि वह इन सबसे काफी डिप्रेशन में आ गई। उसने जिला कलक्टर आरती डोगरा को भी अपनी आपबीती सुनाई तो उनका दिल पसीजा और उन्होंने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ के के सोनी को फोन करके मामला देखने की बात कही तब जाकर चिकित्साधिकारियों की नींद खुली। फिर उन्होंने खुद सरकारी वाहन तक भेज कर उनसे बात की। सीमा ने आरोप लगाते हुए कहा कि एडिशनल सीएमएचओ डॉ एस एस जोधा और सीएमएचओ के के सोनी उसे गर्भ गिरवाने के लिए दबाव डाल रहे हैं, साथ ही उसे जुर्माना भी दिलवाने की बात कह रहे हैं।
बच्चे को देंगी जन्म
सीमा ने कहा कि जहां एक ओर सरकार भ्रूण हत्या को रोकने के लिए विज्ञापनों पर करोड़ों रूपए खर्च कर रही है वहीं उनके केस में भ्रूण हत्या को चिकित्साधिकारी ही बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि नसबंदी करने वाले डॉ भगवान सिंह गहलोत की गलती का ही खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। डॉ गहलोत के खिलाफ कार्रवाई करवाने के लिए वह पूरे प्रयास करेंगे। वहीं जिस निजी अस्पताल में वह कार्यरत है, वहां भी धरना देंगे। सीमा ने कहा कि वह अब इस बच्चे को जन्म देंगी और खुद को सही साबित भी करेंगी। जिससे कि परिवार में उपजा विवाद शांत हो सके। सीमा ने जिला कलक्टर आरती डोगरा से डीएनए जांच करवाकर उसे सही साबित करवाने की मांग भी की है।
नकारे सभी आरोप
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ के के सोनी ने कहा कि महिला उनसे अब तक नहीं मिली है। वह डॉ एस एस जोधा से ही मिल रही है। महिला का पति उनके पास आकर एक बार मिला था लेकिन बाद में उसने कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाए। डॉ सोनी ने कहा कि केस फेल हो सकते हैं और इसके केस में भी ऐसा ही हुआ है। दस्तावेज पूरे देने पर 30 हजार रूपए मुआवजे की राशि के लिए विभाग द्वारा कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि भ्रूण हत्या के लिए विभाग की ओर से दबाव नहीं डाला जा रहा। केस बिगड़ने पर यदि 4 सप्ताह तक का गर्भ होता है तो नियमानुसार पति-पत्नी की रजामंदी से इसे सरकारी चिकित्सकों द्वारा गिरवाया जा सकता है।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
9252958987, 9351087614
01-10-2018
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