Monday, 27 November 2017

आखिर कब रूकेगा बेटियों को ठुकराने का सिलसिला?

अजमेर में फिर पत्थर दिल मां ने नवजात बच्ची को बीमार हालत में छोड़ा


राजस्थान सरकार बालिकाओं के प्रति लोगों की सोच में बदलाव के लिए नित नए अभियान चला रही है। वहीं आईएएस नवीन जैन भी हर संभव कोशिश करके बेटियों को बचाने व लोगों की मानसिकता बदलने में लगे हुए हैं लेकिन अब भी कुछ लोग ऐसे हैं जो ऐसे कुकृत्यों को करने से बाज नहीं आ रहे।
सोमवार को अजमेर के आश्रय स्थल (पालना गृह) में कोई अपनी फूल सी बच्ची को बीमार हालत में छोड़कर चला गया। बच्ची के हाथ में कैनुला भी लगा हुआ था। आवाज सुनते ही बच्ची को तुरंत जेएलएन अस्पताल के शिशु वार्ड में ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने जांच की तो उसकी हालत बेहद गंभीर लगी। बच्ची बिलकुल ठंडी हो रखी थी और उसका वजन भी 2 किलो से कम था जो कि सामान्य बच्चों की तुलना में काफी कम होता है। बच्ची को तुरंत चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाॅफ की टीम ने उपचार दिया। फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता कि बच्ची खतरे से बाहर है लेकिन आईसीयू में बच्ची को उपचार दिया जा रहा है।
चार दिन की है बच्ची
अस्पताल प्रबंधन की मानें तो बच्ची का जन्म तीन से चार दिन पहले हुआ है और बच्ची बीमार थी। उसका इलाज भी किसी अस्पताल में चल रहा था जिसका संकेत उसके हाथ में लगा कैनुला दे रहा था। हालांकि उसके माता पिता के बारे में कोई जानकारी नहीं जुटाई जाएगी।
झाड़ियों में फेंकने से बेहतर
कई लोग बच्ची पैदा होने पर उसे झाड़ियों या ऐसी जगह फेंक देते हैं जहां उसका जी पाना भी काफी मुश्किल हो जाता है और अधिकांश बच्चियां तो मौत के मुंह में समां भी जाती है। ऐसे लोगों की तुलना में पालना गृह में छोड़ना फिर भी बेहतर है। इससे बच्ची की जान तो बच ही सकती है साथ ही जिन लोगों को औलाद का सुख नहीं है वह ऐसी बच्चियों को अपना सकते हैं और ऐसे लोगों के घरों में खुशियां आ जाएंगी।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
9252958987
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