चार साल पूरे होने पर गृहमंत्री कटारिया ने आंकडे़ प्रस्तुत कर थपथपाई पीठ
राजस्थान सरकार के चार साल पूरे होने पर गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने पुलिस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता बुलाई। इसमें गृहमंत्री कटारिया ने अपनी सरकार की पीठ थपथपाते हुए कहा कि उनकी सरकार में हमेशा अपराधों में गिरावट आई है जबकि कांग्रेस के शासन में अपराध बढ़े हैं। उन्होंने इसके आंकड़े भी पत्रकारों को उपलब्ध करवाए। कटारिया ने कहा कि जहां वर्ष 2014 में प्रदेश में आईपीसी के 2लाख 10हजार 412 मुकदमे दर्ज हुए थे वहीं वर्ष 2017 में अक्टूबर तक केवल मात्र 1 लाख 45 हजार 947 ही दर्ज हुए हैं। हर वर्ष अपराधों में कमी आई है। महिलाओं से जुड़े अपराधों का आंकड़ा 2014 में 32152 था जो इस वर्ष अब 22 हजार 591 ही है। दलित समुदाय से जुड़े अपराधों में भी भाजपा की सरकार के कारण वर्ष दर वर्ष कमी आई है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में यह आंकड़ा 8415 था जो कि अब घटकर वर्ष 2017 में केवल मात्र 4 हजार 345 रह गया है। उन्होंने कहा कि यदि वर्ष 2009 से 2013 की बात की जाए तो इसमें 1लाख 51 हजार 117 से बढ़कर 1 लाख 96 हजार 224 हो गए थे जो कि हर वर्ष लगभग 6 प्रतिशत बढ़ोतरी है।
यह बताए कारण-
कटारिया ने कहा कि अपराधों में नियंत्रण का मुख्य कारण प्रभावी जनसुनवाई, संभागीय स्तर पर जनप्रतिनिधियों को साथ रखते हुए समीक्षात्मक बैठक, पुलिस मुख्यालय में मासिक समीक्षा बैठक और पुलिस विभाग की ओर से अभय कमाण्ड सेंटर जैसे नवाचार है।
क्या वाकई रूके अपराध?
गृहमंत्री कटारिया ने आंकडे प्रस्तुत कर भले ही ली हो लेकिन नतीजे कुछ ओर ही है। आज पुलिस में जो परफोरमेंस मेजरमेंट सिस्टम पीएमएस जो चलाया गया है उससे कई मामले तो दर्ज तक नहीं हो पाते। अधिकांश बार यह भी देखा गया है कि अपनी पीएमएस नहीं गिरे इसलिए थानाधिकारी मुकदमा तक दर्ज नहीं करते। यदि किसी उपरी अधिकारी या जनप्रतिनिधि का फोन आ जाता है तो मजबूरीवश मुकदमा दर्ज किया जाता है। यदि केवल मात्र आंकड़ों की बात की जाए तो इससे यह स्पष्ट नहीं हो सकता कि अपराधों में कमी आई है।
अजमेर में भी आमजन बैचेन
अजमेर पुलिस को भले ही पीएमएस में 34वां स्थान मिला हो लेकिन पूर्व में यहां पर कानून व्यवस्था बहुत सुदृढ़ चल रही थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों में यह देखने को मिला है कि यहां भी अपराधी बेखौफ होकर वारदातें अंजाम दे रहे हैं। शहर में बाईकर्स गैंग तो दिनदहाड़े चैन पर झपट्टा मारकर फरार हो जाती है और बाद में पुलिस नाकाबंदी या सीसीटीवी फुटेज खंगालती है लेकिन उनका कोई सुराग नहीं लग पाता। यही हाल चोरियांे का है। शहर में चोरियां भी लगातार हो रही है। इससे हर कोई अपना घर सूना छोड़ने तक से कतरा रहा है। अजमेर पुलिस को भी चाहिए कि पूर्व की तरह गश्त व्यवस्था को मजबूत किया जाए ना कि टाईगर की सख्ती व टाॅस्क का फायदा उठाकर चांदी कूटी जाए।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
9252958987
navinvaishnav5.blogspot.com
www.facebook.com/Navinvaishnav87
राजस्थान सरकार के चार साल पूरे होने पर गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने पुलिस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता बुलाई। इसमें गृहमंत्री कटारिया ने अपनी सरकार की पीठ थपथपाते हुए कहा कि उनकी सरकार में हमेशा अपराधों में गिरावट आई है जबकि कांग्रेस के शासन में अपराध बढ़े हैं। उन्होंने इसके आंकड़े भी पत्रकारों को उपलब्ध करवाए। कटारिया ने कहा कि जहां वर्ष 2014 में प्रदेश में आईपीसी के 2लाख 10हजार 412 मुकदमे दर्ज हुए थे वहीं वर्ष 2017 में अक्टूबर तक केवल मात्र 1 लाख 45 हजार 947 ही दर्ज हुए हैं। हर वर्ष अपराधों में कमी आई है। महिलाओं से जुड़े अपराधों का आंकड़ा 2014 में 32152 था जो इस वर्ष अब 22 हजार 591 ही है। दलित समुदाय से जुड़े अपराधों में भी भाजपा की सरकार के कारण वर्ष दर वर्ष कमी आई है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में यह आंकड़ा 8415 था जो कि अब घटकर वर्ष 2017 में केवल मात्र 4 हजार 345 रह गया है। उन्होंने कहा कि यदि वर्ष 2009 से 2013 की बात की जाए तो इसमें 1लाख 51 हजार 117 से बढ़कर 1 लाख 96 हजार 224 हो गए थे जो कि हर वर्ष लगभग 6 प्रतिशत बढ़ोतरी है।
यह बताए कारण-
कटारिया ने कहा कि अपराधों में नियंत्रण का मुख्य कारण प्रभावी जनसुनवाई, संभागीय स्तर पर जनप्रतिनिधियों को साथ रखते हुए समीक्षात्मक बैठक, पुलिस मुख्यालय में मासिक समीक्षा बैठक और पुलिस विभाग की ओर से अभय कमाण्ड सेंटर जैसे नवाचार है।
क्या वाकई रूके अपराध?
गृहमंत्री कटारिया ने आंकडे प्रस्तुत कर भले ही ली हो लेकिन नतीजे कुछ ओर ही है। आज पुलिस में जो परफोरमेंस मेजरमेंट सिस्टम पीएमएस जो चलाया गया है उससे कई मामले तो दर्ज तक नहीं हो पाते। अधिकांश बार यह भी देखा गया है कि अपनी पीएमएस नहीं गिरे इसलिए थानाधिकारी मुकदमा तक दर्ज नहीं करते। यदि किसी उपरी अधिकारी या जनप्रतिनिधि का फोन आ जाता है तो मजबूरीवश मुकदमा दर्ज किया जाता है। यदि केवल मात्र आंकड़ों की बात की जाए तो इससे यह स्पष्ट नहीं हो सकता कि अपराधों में कमी आई है।
अजमेर में भी आमजन बैचेन
अजमेर पुलिस को भले ही पीएमएस में 34वां स्थान मिला हो लेकिन पूर्व में यहां पर कानून व्यवस्था बहुत सुदृढ़ चल रही थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों में यह देखने को मिला है कि यहां भी अपराधी बेखौफ होकर वारदातें अंजाम दे रहे हैं। शहर में बाईकर्स गैंग तो दिनदहाड़े चैन पर झपट्टा मारकर फरार हो जाती है और बाद में पुलिस नाकाबंदी या सीसीटीवी फुटेज खंगालती है लेकिन उनका कोई सुराग नहीं लग पाता। यही हाल चोरियांे का है। शहर में चोरियां भी लगातार हो रही है। इससे हर कोई अपना घर सूना छोड़ने तक से कतरा रहा है। अजमेर पुलिस को भी चाहिए कि पूर्व की तरह गश्त व्यवस्था को मजबूत किया जाए ना कि टाईगर की सख्ती व टाॅस्क का फायदा उठाकर चांदी कूटी जाए।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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