Saturday 23 September 2017

सच्चाई की हुई जीत, रोहन धमीजा गिरफ्तार

अग्रवाल समाज के युवा दम्पति को कार से टक्कर मारकर मौत के घाट उतारने वाले रोहन धमीजा को आखिरकार पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने आरोपी रोहन धमीजा को न्यायाधीश के समक्ष भी पेश किया।
गत 9 सितम्बर की रात्रि में सावित्री स्कूल के पास शेखर गुप्ता की बाईक को कार ने टक्कर मार दी थी। इससे शेखर गुप्ता और उनकी पत्नी रीना गुप्ता की मौत हो गई थी और उनकी दो बेटियां एश्वर्या व रिद्धिमा हमेशा के लिए अनाथ हो गई। इस मामले में जहां पहले तक पुलिस रोहन को आरोपी ही नहीं मान रही थी वहीं आज आखिरकार पुलिस ने राजीव धमीजा के बेटे रोहन धमीजा को गिरफ्तार कर ही लिया।
उत्तर वृताधिकारी राजेश मीणा ने बताया कि मामले की जांच में भले ही समय लगा हो, लेकिन गहनता से काॅल लोकेशन, प्रत्यक्षदर्शियों के बयान सहित सभी को देखते हुए रोहन धमीजा को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि पूर्व में जिस कुलदीप को ड्राईवर बताया गया था उसकी कोई गिरफ्तारी नहीं की गई थी। उससे केवल मात्र पूछताछ की गई थी।
थाने पर भी चला ड्रामा
रोहन धमीजा की गिरफ्तारी की खबर की जानकारी मिलते ही मीडियाकर्मी थाने पहुंच गए। मीडियाकर्मियों ने थानाधिकारी करण सिंह सहित अन्य पुलिसकर्मियों से पूछा तो कोई भी इस संबंध में मुंह नहीं खोल रहा था। काफी समय तक मीडियाकर्मी परेशान होते रहे, पुलिस भी उन्हें गुमराह करती रही। पुलिस मीडिया के जाने के बाद आरोपी रोहन धमीजा को अदालत में पेश करने की ठान कर बैठी थी लेकिन मीडिया भी वहीं जमी रही और आखिरकार पुलिस को मीडिया के सामने गिरफ्तारी शो करनी पड़ी।
धमीजा की सफाई
आरोपी रोहन धमीजा के बेटे राजीव धमीजा ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि उसका बेटा पूरी तरह निर्दोष है। घटना के दिन वह घर पर खाना खा रहे थे। इस बारे में पुलिस को भी बताया गया। मामले में मनीष गर्ग की गवाही भी करवाई गई लेकिन पुलिस ने उसे नहीं माना और आज सुबह से रोहन को थाने में बैठाकर रखा व गिरफ्तारी की कार्रवाई की।
एसपी राजेन्द्र सिंह का विशेष योगदान
उक्त पूरे मामले में जिला पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह का विशेष योगदान रहा। जिस दिन मामले को उठाया गया उसी दिन एसपी राजेन्द्र सिंह ने पूरा आश्वासन दिया कि बच्चियों को न्याय दिलवाया जाएगा। भले ही कोई भी रसूखदार हो। वह आरोपी को नहीं बख्शेंगे और मामले की माॅनिटरिंग खुद करेंगे। आज उसी का नतीजा है राजीव धमीजा के बेटे की गिरफ्तारी संभव हो सकी है।
अग्रवाल समाज ने भी दिखाई थी एकता
उक्त मामले में अग्रवाल समाज ने भी एकता का परिचय दिया था और बच्चियों को न्याय दिलवाने के लिए सतत् प्रयासरत रहे। समाज के अध्यक्ष शेलेन्द्र अग्रवाल सहित अन्य नेता नियमित रूप से पुलिस अधिकारियों से सम्पर्क करते रहे और दोषी को सजा दिलवाने की मांग पर अड़े रहे।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Saturday 16 September 2017

दम्पति की सड़क हादसे में मौत मामले में रोहन धमीजा के बयान दर्ज

दिनांक-16.09.2017
प्रत्यक्षदर्शी गवाहों ने की रोहन धमीजा की थाने में पहचान
अजमेर के सिविल लाईन थाना क्षेत्र में दम्पति को टक्कर मारकर मौत के घाट उतारने के मामले में पुलिस ने शनिवार को रोहन धमीजा के बयान दर्ज कर लिए। वहीं प्रत्यक्षदर्शी गवाहों ने भी रोहन धमीजा की थाने में पहचान की और रोहन द्वारा ही दुर्घटनाकारित करने के बयान दर्ज कराए।
सिविल लाईन थानाधिकारी करण सिंह ने कहा कि मेवाड़ हाॅस्पिटल के पास 9 सितम्बर की रात्रि में कार और बाईक की दुर्घटना में शेखर गुप्ता और उनकी पत्नी रीना गुप्ता की मौत हो गई थी। इस मामले में राजीव धमीजा के पुत्र रोहन धमीजा को थाने बुलवाया गया वहीं प्रत्यक्षदर्शी लोगों को भी थाने बुलवाया गया। रोहन ने अपने बयानों में किसी दोस्त की पार्टी में होने की बात कही है जबकि प्रत्यक्षदर्शियों ने रोहन के कार में और अस्पताल में मौजूद होने की बात कही है। थानाधिकारी करण सिंह ने यह भी कहा कि फिलहाल रोहन के बयान लिए गए हैं फिलहाल बयानों में विरोधाभास आ रहा है, वह इसकी जांच कर रहे हैं।
थाने में देख लेने की दी धमकी
प्रत्यक्षदर्शी सलमान ने बताया कि वह उसका दोस्त तनुज जैन, राहुल अमीन और बंटी उर्फ सुमिरन दीप थाने गए थे। वहां पर रोहन धमीजा बैठा हुआ था। सभी ने उसे पहचान लिया और थानाधिकारी को भी इसके बारे में अवगत करवा दिया। सलमान ने कहा कि उसने अपने बयानों में साफ कहा कि रोहन स्वयं कार की स्टेयरिंग पर बैठा हुआ था। इसके बाद उसकी रोहन से झड़प भी हुई थी। सलमान ने बताया कि रोहन धमीजा को उसका दोस्त तनुज जैन इसलिए जानता था क्योंकि पहले सूचना केन्द्र  पर रोहन का कैफे था। उन्होंने यह बात पुलिस को भी बताई है। सलमान ने कहा कि जब उसने बयान दर्ज करवाए तो रोहन की मम्मी उनको खुदा का वास्ता दे रही थी और जब उसने कहा कि रोहन ने ही शेखर गुप्ता की बाईक को टक्कर मारी तो उसे थाने में ही देख लेने की धमकी भी दी गई।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Friday 15 September 2017

दम्पति को मौत के घाट उतारने वाले को पुलिस का संरक्षण!

अग्रवाल समाज ने एसपी और कलक्टर को ज्ञापन देकर दिया सात दिन का अल्टीमेटम
अजमेर में गत दिनों सड़क हादसे में कार चालक की लापरवाही से मरने वाले दम्पति के मामले में पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं करने से अग्रवाल समाज में गहरा रोष व्याप्त है। समाज के लोगों ने शुक्रवार को जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर प्रदर्शन कर अपने रोष का इजहार किया साथ ही जल्द से जल्द आरोपी कार ड्राईवर को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की।
अग्रवाल समाज के अध्यक्ष शेलेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि गत 9 सितम्बर को तेज गति में आई उड़ीसा नम्बरी कार ने बाईक पर सवार शेखर गुप्ता और उनके परिवार को टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि बाईक पर मौजूद शेखर गुप्ता, उनकी पत्नी रीना गुप्ता, बेटियां रिद्धिमा और एश्वर्या गंभीर रूप से घायल हो गई। टक्कर मार कर आरोपी भाग छूटा। सभी को मित्तल अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाया जहां शेखर और रीना की इलाज के दौरान मौत हो गई। अग्रवाल ने कहा कि इस मामले में सिविल लाईन थाना पुलिस कार चालक के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय उसे संरक्षण दे रही है। उन्होंने यहां तक कहा कि आरोपी कार चालक ऊंचे रसूखों वाला व्यक्ति होने के कारण किसी अन्य व्यक्ति की भी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने साफ कहा कि यदि वास्तविक आरोपी की सात दिन में गिरफ्तारी नहीं की जाती है तो समाज को उग्र आंदोलन पर मजबूर होना पड़ेगा।
केन्द्रीय नेताओं का खास है आरोपी का पिता
मामले की जब पड़ताल की गई तो पुलिस के ही एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि टक्कर मारने वाला ऊंचे रसूखदार व्यक्ति का बेटा है। उसके पिता के केन्द्रीय मंत्रियों सहित कई बड़े-बड़े लोगों से सम्पर्क है। इसके चलते कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होंने तो यहां तक कहा कि उड़ीसा नम्बर की गाड़ी को भी बदलने का प्रयास किया गया था लेकिन किसी कारणवश वह बदली नहीं  जा सकी। पड़ताल में यह भी सामने आया कि आरोपी के पिता ने दुसरे व्यक्ति को खड़ा कर दिया जो अपने सिर इन मौतों की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हो गया है।
दो बेटियां हुई अनाथ
शेखर गुप्ता और उनकी पत्नी रीना गुप्ता की मौत के बाद से बेटी रिद्धिमा और एश्वर्या अनाथ हो गई है। फिलहाल तो उन दोनों का भी मित्तल अस्पताल में इलाज चल रहा है। बेटियों की ओर देखते हुए पुलिस को चाहिए कि भले ही कितना ही बड़ा व्यक्ति क्यों ना हो। उसके खिलाफ कार्रवाई कर बच्चियों को न्याय दिलवाएं।
आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा
जिला पुलिस कप्तान राजेन्द्र सिंह ने कहा कि भले ही व्यक्ति कितना ही रसूखदार क्यों ना हो। यदि उसने       घटनाकारित की है तो किसी भी सूरत में उसे बख्शा नहीं जाएगा। वह इस मामले की खुद माॅनिटरिंग करेंगे।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Wednesday 13 September 2017

15 मिनट में मुख्य आरोपी को थाने से छोड़ने का मामला पकड़ रहा तूल

यूपीआरएमएस ने मुख्यमंत्री और महानिदेषक के नाम ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की रखी मांग
बिजयनगर में रेलवेकर्मियों के साथ मारपीट करने और सरकारी सम्पति को नुकसान पहुंचाने वाले मुख्य आरोपी को पुलिस द्वारा पन्द्रह मिनट में थाने लाकर छोड़ने का मामला गर्मा रहा है। बुधवार को उत्तर पष्चिम रेलवे मजदूर संघ ने मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेषक के नाम ज्ञापन सौंपकर जल्द से जल्द आरोपी की गिरफ्तारी और थाना पुलिस पर कार्रवाई की मांग की।
उत्तर पष्चिम रेलवे मजदूर संघ के मण्डल अध्यक्ष एस आई जैकब के नेतृत्व में बड़ी संख्या में रेलवेकर्मी जिला कलक्ट्रेट पहुंचे। उन्होंने नारेबाजी कर पुलिस की कार्यप्रणाली पर रोश जताया। जैकब ने कहा कि दो दिन पहले बिजयनगर थाना पुलिस ने मुख्य आरोपी षिवराज गुर्जर को पकड़ा और थाने लाए, लेकिन उसे मात्र 15 मिनट में छोड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि ऐसे आरोपी को छोड़ने से रेलकर्मियों में दहषत का माहौल व्याप्त है। आरोपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से उसके हौंसले बुलंद हो रहे हैं और वह अन्य रेलकर्मियों पर भी हमला कर सकता है। जैकब ने कहा कि जिला कलक्टर को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नाम और जिला पुलिस अधीक्षक को पुलिस महानिदेषक अजीत सिंह के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के जरिए आरोपी की जल्द से जल्द गिरफ्तारी और दोशी पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने साफ कहा कि यदि पुलिस ने उनकी मांगों की ओर ध्यान नहीं दिया तो उन्हें उग्र आंदोलन पर मजबूर होना पड़ेगा।इस दौरान यूपीआरएमएस के अनीश वाजपेई, मुकुंद पाण्डे, के.के. गुप्ता, प्रदीप सिंह, मुकेश, आसिफ सहित अन्य पदाधिकारी व सदस्य थे।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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कोख में पल रहे बच्चों के लिंग की जांच करने वाला डाॅ भावन यादव गिरफ्तार


आरोपी डाॅक्टर की मां के नर्सिंग होम में रूकवाई थी भ्रूण हत्या
राज्य की पीसीएनडीटी टीम ने रामनगर पंचैली चैराहा स्थित के. एस. हाॅस्पिटल में भ्रूण लिंग की जांच करते डाॅक्टर भावन यादव सहित दो को गिरफ्तार किया है। अस्पताल की सोनोग्राफी मषीन भी जप्त की गई है।
सीनियर आईएएस एवं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के मिशन निदेशक नवीन जैन ने बताया कि गत दिनों फाॅयसागर रोड़ स्थित किरण नर्सिंग होम में कन्या भ्रूण के गर्भपात करवाने की जानकारी मिली थी। इस पर गर्भपात को रूकवाया गया। मामले की जब जांच की गई तो सामने आया कि पंचैली चैराहा रामनगर स्थित के. एस. अस्पताल में डाॅ सुषीला यादव का बेटा डाॅ भावन यादव लिंग परीक्षण कर रहा है जबकि वह एमबीबीएस है और उसकी पत्नी रेडियोलाॅजिस्ट है। जानकारी मिलने के बाद टीम ने जाल बिछाकर एक गर्भवती महिला को तैयार किया और उसे 11 सितम्बर को बोगस ग्राहक बनाकर के एस हाॅस्पिटल भेजा। डाॅ भावन यादव ने महिला से पहले दस हजार रूपए मांगे और बुधवार को आने की बात कही। इस पर बुधवार को टीम ने महिला को भेजा। डाॅ यादव ने सोनोग्राफी कर दी और दस हजार रूपए दिए लेकिन मेल नर्स रामरघुनाथ चैधरी ने पांच हजार रूपए ओर देने की बात कही। जैसे ही पांच हजार ओर दिए। इसके बाद टीम ने दबिष देकर आरोपी डाॅ भावन यादव और उनके सहयोगी मेल नर्स राम रघुनाथ चैधरी को गिरफ्तार कर लिया साथ ही सोनोग्राफी मषीन भी जप्त कर ली गई।  टीम में पीआईबी थाने के निरीक्षक उमेष निठरवाल, हैडकाॅन्सटेबल डालचंद, काॅन्सटेबल देवेन्द्र सिंह, षंकर लाल सहित अन्य थे।
जिला समन्वयक राजीव लोचन गुप्ता ने कहा कि जांच में यह सामने आया कि गर्भवती महिलाओं के कोख में पल रहे बच्चे के लिंग की जांच केएस अस्पताल में होती थी और इसके बाद उन्हें किरण नर्सिंग होम में ले जाकर उनका गर्भपात करवाया जाता था।  यह गौरखधंधा पिछले कई समय से चल रहा था जिसका टीम ने पर्दाफाष कर दिया है।
नवीन वैष्णव,
(पत्रकार), अजमेर
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Sunday 10 September 2017

वाह री पुलिस! चार थानों के वांटेड को मात्र 15 मिनट में छोड़ दिया


राजनीतिक रसूखातों के चलते नहीं की गई कोई कार्रवाई
अजमेर जिला पुलिस जहां एक ओर स्थायी वारंटियों को पकड़ने में खासी मशक्कत कर रही है वहीं दुसरी ओर चार थानों के वांटेड आरोपी को पुलिस पकड़कर लाती है और केवल मात्र 15 मिनट में उसे बिना कार्रवाई के छोड़ दिया जाता है। हम बात कर रहे हैं बिजयनगर थाना पुलिस की जहां पर शनिवार को रात्रि के अंधेरे में गुलाबपुरा नगर पालिका के चैयरमेन धनराज गुर्जर के भाई शिवराज गुर्जर को लाया गया और पन्द्रह मिनट बाद ही उसे छोड़ भी दिया गया। खास बात तो यह है कि इसकी जानकारी भी जिला पुलिस कप्तान राजेन्द्र सिंह को भी नहीं दी गई।
बिजयनगर में शिवराज गुर्जर और इसके साथियों ने जुलाई माह में रेलकर्मचारियों के साथ मारपीट की थी, रेलवे स्टेशन की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया था। इस मामले में आरपीएफ, जीआरपी और बिजयनगर थाना पुलिस ने शिवराज गुर्जर और उसके साथियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे। मुकदमा दर्ज होने के बाद शिवराज गुर्जर के साथियों की गिरफ्तारियां तो हो गई लेकिन वह अब तक पुलिस की गिरफ्त से दुर चल रहा था। शनिवार को रात्रि में शिवराज गुर्जर को पुलिस की टीम लेकर थाने पहुंची। यहां पर केवल मात्र पन्द्रह मिनट तक शिवराज गुर्जर को रोका गया और फोरी पूछताछ करके छोड़ दिया गया। इस बारे में जब थानाधिकारी प्रभूदयाल से पूछा गया तो उन्होंने पहले यह कहकर टाल दिया कि कोर्ट के आदेश हैं सात साल से कम वाली सजा में आरोपी की गिरफ्तारी आवश्यक नहीं, वहीं इसके बाद उन्होंने कहा कि शिवराज की तबियत खराब हो रही थी। इसके चलते उसे छोड़ दिया गया। बाद में थानाधिकारी प्रभूदयाल ने फोन करके यह भी कहा कि यदि उसे छोड़ते नहीं तो वह थाने में ही मर जाता।
नहीं दी किसी थाने को सूचना
पुलिस के अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यदि किसी आरोपी के खिलाफ विभिन्न थानों में मुकदमे होते हैं तो उसको पकड़ने के बाद सभी थानों को सूचना दी जाती है। जिससे कि उसके खिलाफ जो मुकदमा है। उससे संबंधित पूछताछ या गिरफ्तारी करनी हो तो कर सकें। इस मामले में किसी भी थाना पुलिस को सूचना नहीं दी गई। इससे साफ जाहिर होता है राजनीतिक रसूखातों का कितना दबाव है।
की जाएगी कार्रवाई
जिला पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह से जब पूरे मामले में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस केस की फाईल संभवतया पुलिस मुख्यालय से सीनियर पुलिस अधिकारी के पास ट्रांसफर कर दी गई है। रविवार होने के कारण पूरी जानकारी नहीं दे सकता। यदि आरोपी को थाने बुलाया गया और वापस छोड़ा गया तो गंभीर है। इसमें जांच करवाकर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी और आरोपी को भी जल्द ही दबोच लिया जाएगा।
आदतन है शिवराज
आरोपी शिवराज ने पहली बार ही सरकारी कर्मचारियों के साथ मारपीट नहीं की है। शिवराज ने पूर्व में भी लोकसेवकों के साथ मारपीट की है। जिसमें भी मुकदमे दर्ज किए गए थे। आपको बता दें कि वर्ष 2012 में बिजली चोरी रूकवाने पहुंचे लोकसेवकों के साथ शिवराज गुर्जर सहित अन्य भाईयों ने मारपीट की थी। इस मामले में स्वयं नगरपालिका चैयरमेन धनराज गुर्जर भी आरोपी थे। इसमें चालान भी पेश हो चुका है। वहीं वर्ष 2016 में शिवराज ने रात्रि में अपने साथियों के साथ घुसकर युवतियों व महिलाओं के साथ मारपीट व छेड़छाड़ की थी। इस मामले में गुलाबपुरा थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था जिसमें अन्य की गिरफ्तारी हो गई जबकि शिवराज अब तक फरार है। पीड़िताओं के 164 तक के बयान भी दर्ज हो चुके हैं। वर्तमान में इस मामले की जांच टोंक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अवनीश कुमार शर्मा कर रहे हैं।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Thursday 7 September 2017

नर्सिंग होम संचालिका डाॅ सुशीला यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज

फोन बंद करके अज्ञातवास में चली गई डाॅ यादव
फाॅयसागर रोड़ स्थित किरण नर्सिंग होम संचालिका डाॅ सुशीला यादव के खिलाफ पीबीआई चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। मुकदमा दर्ज होने के बाद से डाॅ यादव बिना किसी को बताए फोन बंद करके अज्ञातवास में चली गई है। वहीं चिकित्सा विभाग व पुलिस की टीम कार्रवाई में जुटी हुई है।
पीबीआई थाने के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रघुवीर सिंह ने बताया कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ के.के.सोनी ने किरण नर्सिंग होम में लिंग परीक्षण कर अवैध गर्भपात करवाने का अंदेशा जताते हुए रिपोर्ट दी थी। इसके आधार पर संचालिका डाॅ सुशीला यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। नर्सिंग होम से एक सोनोग्राफी मशीन और दस्तावेज भी जप्त किए गए हैं। एएसपी रघुवीर सिंह ने कहा कि सोनोग्राफी के ट्रेकर की जांच करवाई जाएगी, इसके साथ ही दुसरी जांच भी पुलिस की टीम कर रही है। इस संबंध में अस्पताल के स्टाॅफ के भी बयान लिए गए हैं जिसमें भी विरोधाभास सामने आ रहा है।
जांच केन्द्रों से भी लिया रिकाॅर्ड
उक्त मामले में चिकित्सा विभाग की स्टेट टीम ने भी गर्भवती महिला के पास मिली जांच केन्द्रों की सोनोग्राफी के आधार पर उन सभी जांच केन्द्रों का भी रिकाॅर्ड प्राप्त किया है। इसकी भी जांच की जा रही है। इनमें अनियमितता मिलने पर उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
दिन में चार बजे भर्ती हुई थी महिला
नर्सिंग होम में महिला दिन में चार बजे भर्ती की गई थी लेकिन अस्पताल प्रबंधन रात्रि 2 बजे भर्ती होने की बात कह रहा है। स्वयं डाॅ सुशीला यादव ने भी चिकित्सा विभाग की टीम को कहा कि रात्रि में आई, इसलिए उन्हें उसकी जानकारी नहीं दी गई। महिला के दिन में भर्ती होने के सबूत भी चिकित्सा विभाग की टीम को मिल चुके हैं।
रूकवाया था गर्भपात
आपको बता दें कि 3 सितम्बर रविवार को किरण नर्सिंग होम में गर्भ में पल रही कन्या का गर्भपात करवाने की मुझे सूचना मिली थी। इसके बाद सीनियर आईएएस एवं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के मिशन निदेशक नवीन जैन को जानकारी देकर स्थानीय चिकित्सा  विभाग की टीम डाॅ के के सोनी के नेतृत्व में भेजी गई थी और कन्या के गर्भपात को रूकवाया था।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Sunday 3 September 2017

कन्या भ्रूण हत्या को रोकने में मिली कामयाबी

फाॅयसागर रोड़ स्थित निजी जनाना अस्पताल में होना था गर्भपात, मुकदमा दर्ज कर होगी कार्रवाई
सरकार कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए लाख प्रयास कर रही है लेकिन सभी प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। रविवार को ही अजमेर शहर में एक विवाहिता के गर्भ में पल रही मासूम बच्ची को फाॅयसागर रोड़ स्थित निजी प्रसूति गृह किरण नर्सिंग होम में जन्म से पहले ही मौत के घाट उतारा जाना था। इसकी जानकारी मुझे किसी खास सूत्र ने दी। मैंने इसे गंभीरता से लेते हुए सीनियर आईएएस एवं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के मिशन निदेशक नवीन जैन को सुबह 9 बजे इस गौरखधंधे की जानकारी दी।
आईएएस जैन ने भी इसे गंभीरता से लिया और स्थानीय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ के के सोनी, आरसीएचओ डाॅ रामलाल चैधरी के नेतृत्व में एक टीम किरण नर्सिंग होम पर भेजी। जहां पर पहले से ही मैंने हमारे न्यूज 21 के कैमरामेन शैलेन्द्र कुमार केवट उर्फ सोनू को तैनात कर रखा था। टीम ने भी जाते ही अच्छे से जांच की और सामने आया कि रामगंज निवासी विवाहिता को बिना एंट्री किए रात्रि ढाई बजे से अस्पताल में भर्ती कर रखा था। जब पूछा गया तो अस्पताल प्रबंधन आनाकानी करने लगा। आपको बता दें कि उक्त महिला के पहले से एक बच्ची है और अजमेर के ही एक जांच केन्द्र ने उसकी सोनोग्राफी करके गर्भ में बच्ची होने की जानकारी दी थी। विवाहिता के परिजनों ने किरण नर्सिंग होम प्रबंधन से सांठ-गांठ कर बच्ची को गर्भ में ही मरवाने का प्रयास किया। चिकित्सा विभाग की टीम ने सारी जांच की जिसमें अनियमितता भी उजागर हुई। आईएएस नवीन जैन ने कहा कि इस मामले में अस्पताल प्रबंधन को पाबंद कर दिया गया है साथ ही इसके खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जाएगी जिससे कि भविष्य में इस तरह का घिनौना काम कोई नहीं कर सके। उन्होंने जांच केन्द्र के खिलाफ भी कार्रवाई करवाने की बात कही है। जैन ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
पहले है ढ़ाई साल की बेटी
चिकित्साधिकारियों के मुताबिक विवाहिता पहले तो बार बार अपने बयान बदलती रही लेकिन बाद में उसने पूछताछ में बताया कि उसके पहले से ढ़ाई साल की बेटी है और वर्तमान में 21 सप्ताह का गर्भ है। जांच करवाई तो सामने आया कि गर्भ में पल रहा भ्रूण भी कन्या का है। ऐसे में उन्हें दुसरी बेटी नहीं चाहिए थी और यही कारण था कि उन्होंने इस घिनौने काम के बारे में सोचा। इसका खुलासा होने के बाद विवाहिता व उनके परिजन भी ग्लानि प्रकट कर रहे हैं।
पीसीपीएनडीटी टीम भी पहुंची
सूचना मिलते ही पीसीपीएनडीटी टीम भी वहां पर पहुंची और उन्होंने भी विवाहिता व अस्पताल प्रबंधन के बयान दर्ज किए। उक्त टीम ने भी जांच शुरू कर दी है। अस्पताल में दवाओं के संबंध में तो कोई अनियमितता नहीं है इसकी जांच के लिए एडीसी ईश्वर यादव भी पहुंचे। उन्होंने भी गहनता से जांच की लेकिन यादव ने कहा कि ऐसी कोई भी प्रतिबंधित दवा अस्पताल से बरामद नहीं हुई है।
शहर में चल रहा है गौरखधंधा
शहर में अभी भी कई जांच केन्द्र लिंग जांच में सक्रिय है जहां पर मोटी करम लेकर इस तरह के घिनौने काम किए जा रहे हैं। आईएएस नवीन जैन ने कहा कि इस तरह के जांच केन्द्रों पर पैनी नजर रखकर कार्रवाई की जाएगी।
महिला आयोग की अपील
महिला आयोग ने भी मामले में प्रसंज्ञान लिया है। स्थानीय महिला आयोग की सदस्य वनीता जैमन ने चिकित्सा विभाग की त्वरित कार्रवाई के लिए उनकी सराहना की है साथ ही उन्होंने विवाहिता से मिलकर उसके बयान लेने की बात भी कही। जैमन ने महिलाओं से अपील की है कि वह परिवार के दबाव में आकर इस तरह का कदम नहीं उठाएं। बच्चा और बच्ची तो भगवान की देन है। ऐसे में वह परिजनों के इस घिनौने काम में साथ ना दें और महिला आयोग को शिकायत दें।
बेटा-बेटी एक समान
सभी लोगों से मेरा निवेदन है कि बेटा-बेटी सब एक समान है। बेटे की चाहत में गर्भ में पल रही बच्ची की बलि ना दें। हो सकता है जिस बच्ची की आप बली देना चाह रहे हैं वही बच्ची भविष्य में आपका ऐसा नाम रोशन कर दे कि आप खुद कहें कि इतना तो बेटा भी नहीं कर सकता। इस तरह के उदाहरण पूर्व में मेरे सामने भी आए हैं। कई अधिकारी व आमजन भी ऐसे हैं जिनके दो बेटियां है और उसके बाद उन्होंने तीसरी संतान के बारे में सोचा तक भी नहीं। अधिकांश दो बेटियों वाले अपनी संतानों से खुश है और उन्हें बेटे की चाहत तक नहीं है।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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