Friday 30 June 2017

ब्लाॅग पढ़कर महिला आयोग अध्यक्ष ने लिया प्रसंज्ञान

चिकित्सा मंत्री को निजी अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के दिए निर्देश
गंज स्थित मलिक अस्पताल में अविवाहित युवती का अवैध रूप से गर्भपात करवाने के मामले में राज्य महिला आयोग ने प्रसंज्ञान ले लिया है। आयोग अध्यक्षा सुमन शर्मा ने चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ को निजी अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और प्रदेश के अन्य निजी जनाना अस्पतालों की भी जांच करवाकर इस घिनौने काम को रूकवाने के निर्देश दिए हैं। शर्मा ने अपने अजमेर प्रवास के दौरान जिला कलक्टर गौरव गोयल को भी मामले में दिशा निर्देश दिए हैं। सुमन शर्मा ने शुक्रवार सुबह ब्लाॅग पढ़कर मैसेज किया कि वह इस गंभीर मामले को देख रहे हैं और इसके दोषियों को किसी भी सूरत में नहीं बख्शा जाएगा। बाद में फोन पर हुई वार्ता में शर्मा ने कहा कि ब्लाॅग पढ़ने के बाद उन्होंने चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ से बात की और अजमेर के मलिक अस्पताल में गौरखधंधा चलाने वालों को सख्त से सख्त सजा दिलवाने और प्रदेश के सभी निजी जनाना अस्पतालों का भी रिकाॅर्ड खंगालकर जांच करवाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कमेटी का गठन भी कर दिया गया है, कमेटी को जल्द से जल्द जांच करने के निर्देश प्रदान किए हैं।
कलक्टर भी करवाएंगे जांच
शर्मा ने कहा कि मामले में जिला कलक्टर गौरव गोयल से भी बात की गई और उन्हें अपने स्तर पर जांच करवाकर कार्रवाई करने के आदेश प्रदान किए हैं। शर्मा ने कहा कि ऐसे घिनौने काम करने वालों पर कड़ी कार्रवाई हो जिससे कि भविष्य में ऐसे काम करने वालों पर अंकुश लग सके।
भ्रूण का हुआ पोस्टमार्टम
गंज थाना पुलिस ने भ्रूण का जेएलएन अस्पताल में पोस्टमार्टम करवाया और उसे दफना दिया गया। वहीं युवती का मेडिकल मुआयना भी करवाया गया। उन्होंने कहा कि चिकित्सक मलिक दम्पति की तलाश भी की जा रही है। अस्पताल के स्टाॅफ के बयान भी दर्ज किए गए हैं।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार) अजमेर
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Thursday 29 June 2017

हेलमेट होगा तो ही कर सकेंगे पुलिस लाईन में एन्ट्री

दुर्घटना में कमी लाने के लिए एसपी की अनूठी पहल
अजमेर जिला पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह चैधरी ने दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने इसके मद्देनजर अब पुलिस लाईन में आने और जाने वालों के लिए हेलमेट की अनिवार्यता के निर्देश दिए हैं। हेलमेट नहीं होने पर वाहन चालक के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
मैंने पूर्व में ही ब्लाॅग के जरिए बताया था कि एसपी राजेन्द्र सिंह चैधरी हम सुधरेंगे, जग सुधरेगा तकनीक पर काम करते हैं। चैधरी ने फिर यह सिद्ध कर दिया। उन्होंने नियम दुसरों पर थापने से पहले अपने स्टाॅफ पर लागू किए हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सड़क हादसों में होने वाली मौतों में अधिकांश युवाओं की है और हेलमेट नहीं होने के कारण होने की बात आंकडे़ बता रहे हैं। दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए उन्होंने अपनी ओर से यह पहल करने की ठानी। एसपी चैधरी ने कहा कि पुलिसकर्मियों के बाद स्कूली बच्चों पर भी सख्ती दिखाई जाएगी। बच्चों को नियमित रूप से हेलमेट लगाकर वाहन चलाने के लिए बाध्य किया जाएगा। इसके लिए बच्चों के परिजनों को भी पाबंद किया जाएगा। इसके बाद शहर में भी हेलमेट लगाकर वाहन नहीं चलाने वालों के खिलाफ सख्ती दिखाई जाएगी। जिससे कि दुर्घटना में होने वाली मौतें कम हो।
सुरक्षा से खिलवाड़ नहीं होगा बर्दाश्त
जिला पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह चैधरी ने गुरूवार को बाल वाहिनी स्थायी समिति की बैठक में निर्देश दिया कि किसी भी सूरत में बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ वह बर्दाश्त नहीं करेंगे। दोषी पाए जाने के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। एसपी ने स्कूल प्रबंधन को भी रोड़ सेफ्टी क्लब गठित करने के निर्देश दिए साथ ही उन्होंने कहा कि 5 से 15 जुलाई तक यातायात संबंधी जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इसमें स्कूलों के बीच प्रतिस्पर्धा करवाई जाएगी। जो अच्छा प्रदर्शन करेगी उस स्कूल को पारितोषिक देकर सम्मानित भी किया जाएगा।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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मलिक हाॅस्पिटल में चल रहे गर्भपात के गौरखधंधे का भण्डाफोड़

अविवाहित युवती का किया जा रहा था गर्भपात
अजमेर के गंज स्थित मलिक हाॅस्पिटल में पिछले लम्बे समय से चल अवैध गर्भपात के गौरखधंधे का गुरूवार को भण्डाफोड़ हो गया। चिकित्सा विभाग की टीम ने पुलिस के साथ मिलकर कार्रवाई अंजाम दी। हाॅस्पिटल में शास्त्रीनगर निवासी अविवाहित युवती का गर्भपात किया गया था। पुलिस ने पांच माह के भ्रूण को कब्जे में लेकर जेएलएन अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया है। शुक्रवार को मेडिकल ज्यूरिस्ट से उसका पोस्टमार्टम करवाया जाएगा।
कार्यवाहक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ रामलाल चैधरी ने बताया कि मलिक हाॅस्पिटल में गर्भपात के गौरखधंधे की पिछले लम्बे समय से सूचना मिल रही थी। आज अविवाहित युवती के गर्भपात की सूचना मिलते ही चिकित्सा विभाग की टीम तुरंत मौके पर पहुंची लेकिन टीम की भनक लगते ही डाॅ राजेन्द्र मलिक और डाॅ साधना मलिक मौके से भाग छूटे। अस्पताल में केवल मात्र दो नर्सिंग स्टाॅफ मिले। डाॅ चैधरी ने कहा कि जब अस्पताल की जांच की गई तो लैबर रूम में भ्रूण पड़ा हुआ मिला। इस संबंध में जानकारी चाही गई तो अस्पतालकर्मियों ने गुमराह करने का प्रयास किया। इसके बाद पुलिस को सूचना देकर मौके पर बुलाया गया।
छिपाते रहे युवती को
डाॅ चैधरी ने बताया कि जिस युवती का गर्भपात किया गया था। उसे बचाने में अस्पतालकर्मी लगे रहे लेकिन जैसे ही गंज थाने की टीम वहां पहुंची और सख्ती से पूछा तो उन्होंने अस्पताल परिसर में ही लैटी हुई युवती के बारे में बताया। पुलिस ने युवती से भी इस संबंध में पूछताछ की।
मुकदमा दर्ज
कार्यवाहक थानाधिकारी नरेन्द्र सिंह ने बताया कि चिकित्सा विभाग की शिकायत पर मलिक हाॅस्पिटल प्रबंधन के खिलाफ आईपीसी की धारा 315,318 और एमटीपी एक्ट की धारा 3 व 4 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस हाॅस्पिटल संचालक की भी तलाश कर रही है वहीं युवती को जनाना अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया है। महिला चिकित्सक से उसकी जांच करवाई जाएगी।
गर्भपात की दवाईयां भी बरामद
चिकित्सा विभाग के ड्रग  इंस्पेक्टर भी मौके पर पहुंचे। ड्रग इंस्पेक्टर ने मौके से गर्भपात की दवाईयां भी जप्त की है। उक्त दवाईयों का कोई बिल भी बरामद नहीं हुआ। इस संबंध में भी डाॅ राजेन्द्र मलिक से पूछताछ की जाएगी और कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी।
सख्त हो कार्रवाई
गर्भपात जैसा घिनौना काम करने वालों के खिलाफ चिकित्सा विभाग और पुलिस को चाहिए की सख्त कदम उठाए। जिससे कि अवैध रूप से ऐसा काम करके मोटी रकम वसूलने वालों पर अंकुश लग सके। वर्तमान में भी शहर में कई मेडिकल स्टोर और निजी अस्पताल ऐसे हैं जो धडल्ले से यह घिनौना काम कर रहे हैं लेकिन आज दिन तक भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Wednesday 28 June 2017

आखिर प्रशासन को क्यों नहीं दिख रहे आनासागर झील पर हो रहे हादसे

आधा दर्जन से अधिक लोग गवां चुके हैं जान
आनासागर झील के रामप्रसाद घाट पर आए दिन हो रहे हादसों से प्रशासन बेखबर है। पिछले कुछ दिनों में आधा दर्जन से अधिक लोग इसमें डूबकर अपनी जान गंवा चुके हैं। बुधवार सुबह जयपुर से ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत करने आए दो जायरीन की डूबने से मौत हो गई।
गोताखोर उस्मान की मानें तो अजमेर विकास प्राधिकरण की ओर से चैपाटी का निर्माण करवाया जा रहा है। निर्माण कार्य के चलते रामप्रसाद घाट की सीढ़ियों को तोड़ दिया गया। इससे यहां नहाने वाले जायरीन कच्ची मिट्टी के कारण फिसलने से डूब जाते हैं और मौत के मुंह में समां जाते हैं, जबकि कई लोगों को तो समय रहते बचा भी लिया जाता है।
एक को बचाने में गई दुसरे की जान
जयपुर निवासी अतीक कुरैशी अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ अजमेर के विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में जियारत के लिए आया था। जियारत के बाद सभी रामप्रसाद घाट पहुंचे जहां नहाने के दौरान रशीद कुरैशी डूबने लगा। उसे बचाने के प्रयास में अतीक ने भी पानी में छलांग लगा दी। कुछ ही देर में अतीक भी डूबने लगा। गोताखोरों की मदद से अतीक को निकलवाया गया तब तक वह दम तोड़ चुका था। वहीं उसके रशीद का शव काफी समय तक गोताखोर खोजते रहे। बाद में जाकर उसका शव मिला। इससे पहले शुक्रवार को हैदराबाद निवासी नाजिया अपनी डूबती मां रहीमा को बचाने में मौत के आगोश में समां गई। वहीं ईद पर भी एक जायरीन नहाने के दौरान डूब गया था जिसका शव मंगलवार को तैरता दिखाई देने पर निकाला गया।
जायरीन झील के पानी को मानते हैं पवित्र
जायरीन आनासागर झील के पानी को पवित्र मानते हैं और रामप्रसाद घाट पर आकर नहाते हैं। वहीं यहां के पानी को भी अपने साथ बोतलों में भर कर ले जाते हैं। अभी इन दिनों में रमजान माह के कारण जायरीन की आवक भी कम थी इसके बावजूद भी इतने हादसे हो चुके हैं। आने वाले दिनों में मोहर्रम आएगा जिसमें जायरीन की आवक बढ़ जाती है। उसमें हादसे ओर अधिक होंगे।
प्रशासन दे ध्यान
प्रशासन को चाहिए कि एडीए के काम में गति लाई जाए और यहां पर पहले की तरह लोहे की जंजीरें लगाकर गोताखोर भी तैनात किए जाए। जिससे कि यहां पर हादसे थम सके। नहीं तो इसी तरह झील रोजाना जान निगलती रहेगी और इसे मौत की झील माना जाएगा।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार) अजमेर
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Sunday 25 June 2017

क्या अब भी बेटियां है अभिशाप?


इस जमाने में भी क्या बेटियों को अभिशाप माना जा सकता है। जवाब हालांकि ना में ही होगा लेकिन कुछ लोग आज भी बेटियों को अभिशाप मान रहे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण रविवार अलसुबह सरवाड़ थाना क्षेत्र के गणेशपुरा गांव में देखने को मिला। जहां एक दिन की नवजात बच्ची को कंटीली झाड़िंयों में मरने के लिए छोड़ दिया गया। ग्रामीणों ने बच्ची के रोने की आवाज सुनकर जब जाकर देखा तो कांटों के बीच पड़ी मासूम नवजात रो रही थी और कांटों के कारण लहुलुहान हालत में थी। ग्रामीणों ने पुलिस को इसकी सूचना देकर उसे स्थानीय अस्पताल पहुंचाया जहां से उसे अजमेर के जेएलएन अस्पताल के लिए रैफर कर दिया गया। फिलहाल बच्ची की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। चिकित्सकों की मानें तो बच्ची चैबीस घंटे के अंदर पैदा हुई है।
दंगल जैसी फिल्म भी बेअसर!
बेटियां हर क्षेत्र में परचम फहरा रही है। भले ही वह बोर्ड कक्षा की परीक्षाओं का परिणाम हो या फिर सिविल सर्विसेज या अन्य कोई परीक्षा। बेटियों को बचाने के लिए सरकार भी पूरी कोशिश कर रही है लेकिन इसके बावजूद भी लोगों की मानसिकता में बदलाव नहीं आ पा रहा है और आए दिन नवजात बेटियों या फिर गर्भ में पल रही बेटियों के भ्रुण लावारिस मिलने की घटनाएं सामने आती है। फिल्म इंडस्ट्री या यूं कहें कि प्रसिद्ध फिल्म एक्टर आमिर खान ने भी बेटियों को अभिशाप मानने की परम्परा को तोड़ने के लिए दंगल जैसी फिल्म का निर्माण किया था लेकिन शायद अब भी लोगों के मन से बेटे-बेटी में फर्क नहीं निकल पा रहा है।
पुलिस करे सख्ती
अमूमन देखा जाता है कि कहीं भी नवजात या भ्रूण मिलने के बाद पुलिस की ओर से अज्ञात माता-पिता के विरूद्ध मुकदमा तो दर्ज कर लिया जाता है लेकिन आरोपियों का पता नहीं लग पाता। ऐसे में पुलिस को चाहिए कि गहनता से इसकी जांच करे और दोषियों को सजा दिलवाएं, जिससे कि लोग ऐसा कृत्य करने से कतराए।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Friday 9 June 2017

संभागीय आयुक्त आए आंख दिखाने, लिया अस्पताल का जायजा


अजमेर संभागीय आयुक्त हनुमान सहाय मीणा ने शुक्रवार को एक पंत दो काज वाली कहावत को चरितार्थ कर दिया। मीणा अपनी आंखों की जांच करवाने के लिए जवाहर लाल नेहरू अस्पताल  पहुंचे। उन्होंने इस दौरान अस्पताल की व्यवस्थाएं भी देखी और अस्पताल अधीक्षक को सफाई व मरीजों की सुविधाओं पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए।
अजमेर संभागीय आयुक्त हनुमान सहाय मीणा शुक्रवार को अचानक जेएलएन अस्पताल पहुंचे। उन्होंने यहां की व्यवस्थाएं देखी। डीसी मीणा ने आउटडोर, आपातकालीन विभाग सहित अन्य क्षेत्रों का जायजा लेकर सफाई पर विशेष ध्यान देने और मरीजों की सहूलियत के लिए पंखे लगवाने के लिए अस्पताल अधीक्षक डाॅ विनय कुमार मल्होत्रा को निर्देश दिए। दरअसल डीसी मीणा के आंखों में एलर्जी की शिकायत हो गई थी। इसकी जांच करवाने के लिए वह अस्पताल आए। यहां नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डाॅ राकेश पोरवाल ने उनकी आंखों की जांच की। डाॅ पोरवाल ने बताया कि संभागीय आयुक्त मीणा के आंखों में एलर्जी हो गई थी जिसकी जांच करने के बाद उन्हें नियमित दवा  डालने के लिए कहा गया है।
अन्य अधिकारी भी ले सीख
जिस तरह संभागीय आयुक्त मीणा ने सरकारी अस्पताल की सेवाओं में विश्वास जताया यह काबिले तारीफ है। उन्होंने स्वयं अस्पताल आकर आंखों की जांच करवाई। मीणा की इस पहल से अन्य अधिकारियों को भी सीख लेनी चाहिए और सरकारी सेवाओं में विश्वास रखना चाहिए। यदि अधिकारी स्वयं अस्पताल में आकर अपना ईलाज करवाएंगे तो अवश्य ही यहां की व्यवस्थाओं में ओर सुधार होगा साथ ही आमजन के मन में भी जो निजी चिकित्सालयों की परिपाटी बनती जा रही है, उसमें बदलाव हो सकेगा।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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आईपीएस मोनिका सैन को अदालत में किया तलब, आरोपियों के गिरफ्तारी वारंट जारी

बहुचर्चित रामकेश मीणा हत्याकाण्ड मामला
अजमेर के बहुचर्चित रामकेश मीणा हत्याकाण्ड में न्यायालय ने जांच अधिकारी आईपीएस मोनिका सैन को आरोपियों को लाभ पहुंचाने की बात कहते हुए स्पष्टीकरण मांगा है। अगली सुनवाई पर आईपीएस सैन को स्वयं उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने के आदेश न्यायालय ने प्रदान किए हैं।
अजमेर के बहुचर्चित हत्याकाण्ड की शुक्रवार को अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण न्यायालय में सुनवाई हुई। इसमें न्यायाधीश बृजमाधुरी शर्मा ने कहा कि जांच अधिकारी आईपीएस मोनिका सैन ने आरोपियों को जान बूझकर लाभ पहुंचाने के लिए एससी एसटी की धारा नहीं जोड़ी और यही कारण रहा कि दो आरोपियों को जमानत पर रिहा भी कर दिया गया। उन्होंने कहा कि उक्त दोनों आरोपी जमानत के काबिल नहीं थे लेकिन मोनिका सैन की लापरवाही के कारण दोनों को जमानत दी गई। विशिष्ट लोक अभियोजक पंकज जैन ने कहा कि न्यायाधीश शर्मा ने आईपीएस मोनिका सैन के कार्य को विधि के विरूद्ध मानते हुए आगामी तारीख पर स्वयं उपस्थित होकर लिखित में स्पष्टीकरण देने के आदेश दिए हैं साथ ही दोनों आरोपियों के गिरफ्तारी वारंट भी जारी किए हैं। वहीं आरोपीगण के वकील अजय वर्मा ने कहा कि न्यायाधीश ने जमानत पर छोड़े गए दो आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट नियम विरूद्ध जारी किए हैं। इसके लिए हाईकोर्ट की शरण ली जाएगी। उक्त मामले में जब आईपीएस मोनिका सैन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अनुसंधान के दौरान आरोपियों को आईपीसी की धारा 212 का मुल्जिम माना गया। ऐसे में उसकी अधिकतम सजा 5 साल होने के कारण एससी एसटी धारा नहीं जोड़ी गई। यदि दस साल से अधिक की सजा हो तो एससी एसटी की धारा स्वतः जोड़ दी जाती है।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Sunday 4 June 2017

ध्यान दें, नहीं तो आपको भी लग सकता है चूना


रेलकर्मी के खाते से निकाले 2लाख 11 हजार रूपए

बैंक के एटीएम से ट्रांजेक्शन के दौरान सावधानी हटी और दुर्घटना घटी वाली कहावत सिद्ध हो रही है। शनिवार शाम को रेलवेकर्मी के खाते से इसी तरह दो लाख 11 हजार रूपए निकाल लिए गए। पीड़ित ने रामगंज थाने में अपने साथ हुई ठगी की शिकायत दी है।
पीड़ित तबीजी निवासी रेलवेकर्मी शहाबुद्दीन ने बताया कि उसके बेटे मौहम्मद फारूख को एटीएम से दस हजार रूपए निकालने के लिए भेजा था। फारूख ने ब्यावर रोड़ सब्जी मण्डी के पास के स्टेट बैंक आॅफ इंडिया के एटीएम से दस हजार रूपए निकाले थे। इस दौरान एटीएम के अंदर एक व्यक्ति ओर भी मौजूद था। उसने मौहम्मद फारूख को बातों में उलझाकर उसका एटीएम बदल दिया और इसकी उसे भनक भी नहीं लगने दी। जब घर पहुंचकर मोबाईल चैक किया तो खाते से 2 लाख 11 हजार रूपए साफ कर दिए गए। शहाबुद्दीन ने बताया कि उसके खाते से दस-दस हजार  तीन बार निकाले, इसके बाद 1 लाख रूपए अमन कुमार के खाते में ट्रांस्फर किए गए, फिर 13500 रूपए की आॅनलाईन शाॅपिंग की गई और अंत में जो 60 हजार रूपए बचे उसे भी अमन कुमार के खाते में ट्रांस्फर करके पूरा खाता साफ कर दिया गया। पीड़ित शहाबुद्दीन ने रामगंज थाना पुलिस को शिकायत दी है, जिसकी पुलिस जांच कर रही है।
फुटेज के आधार पर की जाएगी जांच
प्रशिक्षु आरपीएस अधिकारी गीता चैधरी ने बताया कि शहाबुद्दीन के खाते से रूपए निकलने की शिकायत मिली है। सोमवार को बैंक खुलने के बाद बैंक से स्टेटमेंट और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
ध्यान देने योग्य
स्टेट बैंक आॅफ इंडिया के सहायक महाप्रबंधक(कोटा) ज्ञानेन्द्र कुमार जैन ने बताया कियदि एटीएम का प्रयोग कर रहें है तो अंदर किसी भी व्यक्ति को नहीं रहने दें, पासवर्ड डालते समय भी नम्बर पर हाथ रखें, किसी को अपना एटीएम या पासवर्ड नहीं दें, एटीएम के उपर कभी भी पासवर्ड नहीं लिखें, बैंक का नाम लेकर यदि कोई भी फोन करे तो उसे कभी भी सही जानकारी नहीं दें क्योंकि बैंक कभी भी किसी ग्राहक से फोन पर कोई जानकारी नहीं मांगती है। ऐसा फोन आने पर तुरंत अपनी बैंक की शाखा में सम्पर्क करें।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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अब दिव्यांगों के जीवन में बदलाव लाएंगे डाॅ समित शर्मा


विशेष योग्यजन को चिन्हित कर लाभान्वित करने का लक्ष्य
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डाॅ समित शर्मा को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक एवं विशिष्ट शासन सचिव का जिम्मा सौंपा गया है। विभाग संभालते ही डाॅ. समित शर्मा ने इसमें किए जाने वाले सुधारों का खाका तैयार कर लिया है। सर्वप्रथम डाॅ शर्मा दिव्यांगों के जीवन में बदलाव लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसको लेकर उन्होंने अजमेर के जिला कलक्ट्रेट में रविवार को बैठक भी ली।
डाॅ समित शर्मा ने बताया कि हमारे समाज के दिव्यांगों की प्रारम्भिक अवस्था में पहचान कर सहयोग करने से उनके जीवन में बदलाव लाया जा सकता है। पं. दीनदयाल उपाध्याय विशेष योग्यजन शिविर 2017 के अन्तर्गत जिले के समस्त दिव्यांगों का चिन्हिकरण करके पंजीयन किया जाएगा। उपयुक्त दिव्यांगों को प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे। जिससे कि  दिव्यांगों को आवश्कतानुसार कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण वितरित किए जा सके।
बनेगा यूनिक आईडी कार्ड
 डाॅ शर्मा ने बताया कि शिविरों में दिव्यंागों के यूनिक डिसेबीलिटी आईडी कार्ड  बनाए जाएंगे। जिससे कि उन्हें भविष्य में भी किसी योजना का लाभ लेने के लिए धक्के नहीं खाने पड़े। रोडवेज की बसों में लगातार यात्रा करने वाले दिव्यांगों के लिए पास उपलब्ध करवाए जाएंगे। दिव्यांगों को स्वरोजगार एवं अन्य आवश्यकताओं के लिए नियमानुसार ऋण भी दिए जाएंगे।
15 लाख में से केवल 4लाख लाभान्वित
डाॅ शर्मा ने बताया कि प्रदेश में लगभग 15 लाख दिव्यांग है, इनमें से केवल मात्र 4 लाख सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना से जुड़े हुए हैं। उनका उद्देश्य है कि पात्र व्यक्ति को चिन्हित कर पेंशन योजना से जोड़ा जा सके, जिससे कि वह लाभान्वित हो।
ई-मित्र पर होगा रजिस्ट्रेशन
उन्होंने कहा कि दिव्यांगों का रजिस्ट्रेशन ई-मित्र के जरिए किया जाएगा लेकिन उनसे कोई राशि नहीं ली जाएगी। दिव्यांगों के रजिस्ट्रेशन की राशि ई-मित्र संचालक को सरकार उपलब्ध करवाएगी। सभी दिव्यांगों का आॅनलाईन आवेदन करवाकर जरूरतमंदों को उपयुक्त उपकरण प्रदान किए जाएंगे।
इनका लेंगे सहयोग
डाॅ शर्मा ने कहा कि दिव्यांगों के पंजीकरण करने व लाभान्वित करवाने के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, शिक्षक, एनजीओ, जनप्रतिनिधियों का सहयोग लिया जाएगा। जिससे कि एक भी दिव्यांग छूट नहीं सके और उसका रजिस्ट्रेशन करके लाभ पहुंचाया जा सके।
21 प्रकार के होते हैं दिव्यांग
- मानसिक मंदता से ग्रसित व्यक्ति को  समझने, बोलने एवं अभिव्यक्त करने में कठिनाई अनुभव होती है।
-आॅटिज्म से ग्रसित व्यक्ति को किसी कार्य में ध्यान केन्द्रित करने में कठिनाई होती है। वह आंखे मिलाकर बात करने से कतराता है और गुमसुम रहना पसंद करता है।
-सेरेब्रल पाल्सी के मरीज को पैरों में जकड़न, चलने में कठिनाई तथा हाथ से काम करने में परेशाननी होती है।
- मानसिक रोगी अस्वाभाविक व्यवहार दर्शाता है। वह खुद से बाते करता रहता है। मतिभ्रम का शिकार होने से अलग ही दुनिया और ख्यालों में खोया रहता है। भ्रमजाल की स्थिति में रहता है। इस प्रकार के व्यक्ति व्यसन एवं नशे के आदि होते है। इन्हें हमेशा किसी का डर एवं भय सताता है और ये गुमसुम रहते है।
- श्रवण बाधित व्यक्ति बहरेपन का शिकार होता है उसे ऊंचा अथवा कम सुनाई देता है।
- मूक निःशक्त व्यक्ति को बोलने में कठिनाई होती है। वह सामान्य बोली से अलग बोलता है। जिसे अन्य व्यक्ति समझने में असमर्थ होते है।
- दृष्टि बाधित व्यक्ति को देखने में कठिनाई होती है और वह पूर्ण दृष्टिहीन होता है।
- अल्प दृष्टि वाले व्यक्ति को कम दिखाई देता है। वह 60 वर्ष से कम आयु की स्थिति में रंगों की पहचान नही कर पाता है।
- चलन निःशक्त व्यक्ति किसी कारण से हाथ या पैर अथवा दोनो से निःशक्त हो जाता है।
-  कुष्ठ रोग से मुक्त व्यक्ति के हाथ या पैर अथवा अंगुलियों में विकृति एवं टेढ़ापन आ जाता है। शरीर की त्वचा पर रंगहीन धब्बे बन जाते है। हाथ पैर, अंगुलियां सुन्न होने लगती है।
- बौनापन से ग्रसित वयस्क व्यक्ति का कद 4 फुट 10 इंच ( 147 सेमी) या इससे कम रह जाता है।
- तेजाब हमला पीड़ित व्यक्ति की श्रेणी में शरीर के अंग तेजाब हमले की वजह से प्रभावित व्यक्ति को शामिल किया गया है।
- मांसपेशियों में कमजोरी एवं विकृति को मांसपेशी दुर्विकार श्रेणी में शामिल किया गया है।
- स्पेसिफिक लर्निंग डिसऐबिलिटी से ग्रसित व्यक्ति को बोलने, श्रुत लेख, लेखन, साधारण जोड, बाकी, गुणा, भाग, आकार, भार एवं दूरी आदि को समझने में कठिनाई अनुभव होती है।
- बौद्धिक निःशक्त व्यक्ति को सीखने, समस्या समाधान, तार्किकता, रोजमर्रा के कार्र्यों एवं सामान्य सामाजिक अनुकूलन में कठिनाई आती है।
- मल्टीपल स्कलेरोसिस में दिमाग एवं रीढ़ की हड्डी के समन्वय में परेशानी आती है।
- पार्किसंस रोगी के हाथ, पांव एवं मांसपेशियों में जकड़न रहती है और तंत्रिका तंत्रा प्रणाली संबंधी कठिनाई होती है।
- हीमोफीलिया अथवा अधि रक्तस्त्राव के मरीज को चोट लगने पर अत्यधिक रक्त स्त्राव होता है जो कि बहना बंद नहीं होता है।
- थैलेसीमिया से ग्रसित व्यक्ति के खून में हीमोग्लोबीन की विकृति होती है। खून की मात्रा कम हो जाती है।
- सिकल सैल बीमारी में खून की अत्यधिक कमी से शरीर के अंग खराब होने लगते है।
- बहु निःशक्तता में दो या दो से अधिक निःशक्तता पायी जाती है।
मुख्यमंत्री दवा योजना के जनक हैं डाॅ शर्मा
वैसे तो वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डाॅ समित शर्मा परिचय के मोहताज नहीं है, लेकिन ज्ञात रहे कि डाॅ शर्मा ने ही कांग्रेस सरकार के समय मुख्यमंत्री निशुल्क दवा वितरण योजना की शुरूआत करके राज्य को राहत प्रदान की थी। वहीं इससे पहले उन्होंने आंगनबाड़ी में भी चार चांद लगा दिए थे। वर्तमान में दस लाख बच्चे प्रदेश की आंगनबाड़ियों से जुड़कर शिक्षा अर्जित कर रहे हैं।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Friday 2 June 2017

पुलिस नहीं होती तो मारे जाते सेवादार-पीड़ित


नसीराबाद के सदर थाना क्षेत्र में सिक्ख सेवादारों से मारपीट मामले के पीड़ित शुक्रवार को राज्य अल्पसंख्यक आयोग कार्यालय में पेश हुए। पीड़ितों ने यहां अपने बयानों में पुलिस को भगवान का दर्जा दिया और कहा कि यदि पुलिस नहीं होती तो सेवादारों की जान चली जाती।
अलवर जिले के खैरथल निवासी सिक्ख सेवादार और पुलिस की राज्य अल्पसंख्यक आयोग के समक्ष पेशी हुई। आयोग के अध्यक्ष जसबीर सिंह और सदस्य मुनव्वर खान ने पीड़ित सेवादारों से अलग से पूछताछ की। जिसमें पीड़ित सेवादारों ने पुलिस की कार्यप्रणाली की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि पुलिस के कारण ही उनकी जान बची है। अध्यक्ष जसबीर सिंह ने उनसे पूछा कि कहीं पुलिस के दबाव में आकर तो वह यह बयान नहीं दे रहे तो पीड़ितों ने अपने समाज के प्रतिनिधियों के सामने साफ कहा कि उन पर कोई दबाव नहीं है। पुलिस ने तो मुकदमा दर्ज करते ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें राहत प्रदान की। पूर्व में भी थानाधिकारी लक्ष्मणाराम चैधरी ने उन्हें रिपोर्ट देने की सलाह दी थी लेकिन वह कोर्ट कचहरी के चक्कर में नहीं फंसना चाहते थे, इसलिए बिना रिपोर्ट दिए चले गए।सरदार निर्मल सिंह ने आयोग के समक्ष कहा कि गांव में मामले की नजाकत को देखते हुए पुलिस ने उन्हें बंद करने की जो कार्रवाई की। वह अतिआवश्यक थी, नहीं तो गुस्साए ग्रामीण ओर भी घटना कारित कर सकते थे। पीड़ित सरदार निर्मल सिंह ने फोन पर बताया कि जिस पुलिस ने उन्हें बचाया और त्वरित कार्रवाई कर आरोपियों को जेल भिजवाया उसके खिलाफ वह कैसे कार्रवाई की मांग करे। स्वयं आयोग अध्यक्ष जसबीर सिंह ने भी बयानों के बाद पुलिस की पीठ थपथपाई। उन्होंने कहा कि आज सभी पीड़ितों के साथ मण्डल अध्यक्ष सरदार बलवीर सिंह, सरदार जगत सिंह, सरदार सूबा सिंह, सरदार अरविंद सिंह, सरदार काबल सिंह, सरदार सेवा सिंह सहित अन्य कई लोग भी आयोग कार्यालय में उपस्थित हुए थे। सरदार निर्मल सिंह ने कहा कि आरोपियों को सख्त सजा दिलवाने का उद्देश्य यह है कि भविष्य में कोई भी इस तरह की घटना कारित करने से डरें और निर्दोषों पर अत्याचार नहीं हो।
गौरतलब है कि 24 अप्रेल को चंदा मांगने गए सिक्ख सेवादार सरदार निर्मल सिंह, सरदार हरपाल सिंह, कुलदीप सिंह व मंजीत सिंह की गांव चैनपुरा के बाशिंदों ने जमकर पिटाई की थी। इसका विडियो भी बनाकर वायरल कर दिया गया था। इसके बाद 27 मई को मामले में निर्मल सिंह की रिपोर्ट पर मुकदमा दर्ज कर सरपंच रामदेव सिंह, श्रवण सिंह, राजू सिंह, भंवर सिंह, मन्ना सिंह और विजय सिंह रावत को गिरफ्तार कर जेल भिजवाया था।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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