Wednesday, 26 April 2017

ब्लाइंड मर्डर का खुलासा कर पुलिस टीम ने किया प्रशंसनीय कार्य


जिला पुलिस अधीक्षक नितिनदीप ब्लग्गन ने ब्लाइंड मर्डर का खुलासा किया। पुष्कर रोड़ स्थित बंद पड़े सुलभ काॅम्पलेक्स के टैंक से बरामद युवक के शव की गुत्थी को सुलझाकर दो हत्यारों को गिरफ्तार किया है। उक्त कार्रवाई कर पुलिस टीम ने प्रशंसनीय कार्य किया है।जिला पुलिस अधीक्षक नितिनदीप ब्लग्गन ने बताया कि पुष्कर रोड़ पर बंद पड़े सुलभ काॅम्पलेक्स के टैंक में बोरे में बंद मिली लाश खानाबदोश युवक शंकर की थी। शंकर पिछले 5-7 सालों से अजमेर में खानाबदोष की जिंदगी जी रहा था। शंकर को उसके ही दो साथियों ने मौत के घाट उतारा था। ब्लग्गन ने बताया कि गंज थाना क्षेत्र के हरिजन बस्ती में किराए से रहने वाले अर्जुन रैगर और कालू ने शराब के नशे में शंकर से हुए झगड़े के बाद उसकी पीट- पीटकर हत्या कर दी थी। पहचान छिपाने के लिए पत्थर से उसका मंुह भी कुचल दिया गया। इसके बाद दोनों ने बोरे में डालकर उसकी लाश को टैंक में फेंक दिया था। एसपी ब्लग्गन ने कहा कि दोनों हत्यारे कचरा बीनने का कार्य करते थे। उक्त दोनों हत्यारों के संबंध में स्पेशल टीम इंचार्ज विजय सिंह को मुखबिर ने खबर दी थी। इसके बाद जब दोनों के बारे में जानकारी जुटाई गई तो  सामने आया कि वह फरार है। आरोपियों का सुराग लगाकर दोनों को दबोचा गया और पूछताछ की तो पहले इंकार करते रहे लेकिन बाद में पुलिस की सख्ती के आगे टूट गए। आरोपियों ने कबूल किया कि उन्होंने ही शंकर उर्फ लम्बू को मौत की नींद सुलाया था।
नहीं था कोई सुराग
इस शव के मिलने के बाद से पुलिस काफी हाथ पांव मार रही थी लेकिन कोई भी सुराग नहीं मिल रहा था। मुखबिर से मिली सूचना के बाद स्पेशल टीम और क्रिश्चयनगंज थानाधिकारी विजेन्द्र सिंह गिल ने इस दिशा में जांच शुरू की तो एक के बाद एक सारी परतें खुल गई और इस ब्लाइंड मर्डर का पर्दाफाश हो गया। यदि कुछ समय तक ओर वारदात नहीं खुलती तो यह मर्डर भी अन्य ब्लाइंड मर्डर की तरह फाईलों में ही दबा रह जाता।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Tuesday, 25 April 2017

आरपीएससी कर रही अभ्यर्थियों के भविष्य से खिलवाड़- हाईकोर्ट


राजस्थान लोक सेवा आयोग की विभिन्न भर्ती परीक्षा में हुई खामियों से अभ्यर्थी ही नहीं हाईकोर्ट भी खफा है। हाईकोर्ट ने कनिष्ठ लेखाकार भर्ती परीक्षा-2013 की सुनवाई के दौरान यहां तक टिप्पणी की है कि आरपीएससी परीक्षाएं आयोजित करने के काबिल ही नहीं है।
मंगलवार को हाईकोर्ट में देवेश कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जज के.एस.आहलुवालिया ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि आरपीएससी अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने सचिव से शपथ पत्र मांगते हुए कहा कि ऐसी कोई भर्ती बताए जिसका मामला अदालत में नहीं आया हो या जो बिना किसी विवाद के सम्पन्न हुई हो। जज ने लेखाकार भर्ती मामले में आरपीएससी द्वारा की गई लापरवाही को लेकर पांच लाख रूपए का जुर्माना किया साथ ही चैथी बार परिणाम घोषित करने और एक आॅडिट का प्रश्न भी डिलिट करने के निर्देश दिए। हाईकोर्ट ने आरपीएससी को अभ्यर्थियों के भविष्य से खिलवाड़ करने की बजाय अपनी साख सुधारकर परीक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करने की बात भी कही।
हाईकोर्ट की टिप्पणी से सेकण्ड ग्रेड की बड़ी परीक्षा पर भी असर पड़ सकता है। हालांकि आरपीएससी इसके लिए पुख्ता बंदोबस्त करने के दावे कर रही है। आरपीएससी को चाहिए कि परीक्षा प्रणाली में सुधार करे और अभ्यर्थियों की आपत्तियों को दरकिनार करने की बजाय उन पर विशेषज्ञों की राय ली जाए, यदि आपत्ति उचित हो तो उस पर अमल किया जाए अन्यथा उसे तर्क के साथ संतुष्ट किया जाए। इससे परीक्षा प्रणाली पर उठ रहे सवालों में खासी कमी आएगी।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Friday, 21 April 2017

जनता चाहती है शराबबंदी, तो सरकार बिक्री बढ़ाना


पूरे प्रदेश में शराबबंदी को लेकर विरोध हो रहा है लेकिन इस विरोध का सरकार पर कोई असर देखने को नहीं मिल रहा। इसके विपरीत सरकार आबकारी विभाग के अधिकारियों पर अधिक से अधिक शराब बेचने के लिए दबाव बना रही है। विभाग के अधिकारियों को एक भी वार्ड शराब की दुकान से अछूता नहीं रहे, इसके भी आदेश दिए गए हैं।
पूर्व विधायक और समाजसेवी गुरूशरण छाबड़ा की मृत्यु के बाद उनकी पुत्रवधु  प्रदेश के कई जिलों में शराबबंदी की मांग को बुलंद कर रही है। इस अभियान से कई लोग लेकिन खास तौर पर महिलाएं जुड़ी है। कई स्थानों पर तो महिलाओं ने आक्रामक रूप दिखाते हुए शराब के ठेकों में तोडफोड़ तक कर अपने गुस्से का इजहार किया। यदि बात अजमेर की करें तो यहां भी आनंद नगर क्षेत्र में खोले जा रहे देशी शराब के ठेके को लेकर शुक्रवार को क्षेत्रवासी लामबंद हो गए। क्षेत्रवासियों ने ठेके के बोर्ड को हटाया और वैशालीनगर मुख्य रोड़ पर जाम तक लगा दिया। क्षेत्रवासियों ने साफ कहा कि वह अपनी काॅलोनी में शराब का ठेका नहीं खुलने देंगे। यह आनंद नगर क्षेत्र का ही नहीं बल्कि हर काॅलोनी और मौहल्ले का यही हाल है। कोई भी अपने आस-पास शराब का ठेका नहीं खुलने देना चाहते। ऐसे में ठेका खुले तो कहां खुले यह आबकारी की चिंता बढ़ाने वाला सवाल है। आबकारी के अधिकारी ने कहा कि जनता नहीं चाहती कि शराब की दुकान उनके पास खुले वहीं सरकार उन्हें आदेश देती है कि अधिक से अधिक शराब बिकवाओ। शराब बिकवाने के लिए शराब ठेकेदार का समर्थन करो। ऐसे में वह करे तो क्या करे। अधिकारी ने यह भी कहा कि कई ऐसे क्षेत्र  हैं जहां यदि दुकान नहीं खुलती और वह रिपोर्ट उपर भेजते हैं तो उन पर दबाव बनाया जाता है कि उस क्षेत्र को शराब से वंचित नहीं रखा जाए। सालाना राशि में कुछ कमी करके ठेकेदार को मनाया जाए। अधिकारी ने कहा कि ऐसे में दबाव के चलते शराब ठेकेदारों के आगे मिन्नतें करनी पड़ती है, उन्हें साल भर पूरी तरह से समर्थन देने का आश्वासन दिया जाता है। 
अब आप ही बताएं कि कैसे राजस्थान से शराबबंदी हो। आम जनता लाख चाह ले लेकिन जब सरकार राजस्व के लिए शराब की बिक्री को बढ़ाना चाहती है तो इसमें कोई क्या करेगा? अगर जनता भी एक राय होकर ठान लें कि शराब उनके क्षेत्र में नहीं बिकने दी जाएगी तो अवश्य ही राजस्थान में भी शराबबंदी होकर रहेगी। अजमेर के आनंदनगर क्षेत्र के लोगों के विरोध के चलते आबकारी विभाग ने दुकान शिफ्ट करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। इससे साफ जाहिर होता है कि यदि शराबबंदी के लिए एकता दिखाई जाए तो वह दिन दुर नहीं जब राजस्थान सरकार के नहीं चाहते हुए भी यहां शराबबंदी करनी पड़ेगी।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Monday, 17 April 2017

देवनानी की कुर्सी के पीछे पड़ा ब्राह्मण समाज!


खून से पत्र लिखकर देवनानी को मंत्री पद से हटाने की मांग
शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी के ब्राह्मणों द्वारा पण्डित लगाने जाने को लेकर दिए गए कथित बयान से नाराज ब्राह्मण  समाज का रोष बढ़ता ही जा रहा है। सोमवार को ब्राह्मण समाज ने देवनानी को  शिक्षा राज्यमंत्री के पद से हटाने के लिए खून से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष और आरएसएस प्रमुख को पत्र लिखा।
शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी इस बार फिर विवादों में है। देवनानी ने अपने प्रोफेसर लगाने को लेकर जयपुर में कथित रूप से एक बयान दिया जिसमें कहा कि जब ब्राह्मण पण्डित लगा सकता है तो वह प्रोफेसर क्यों नहीं लगा सकते। इस बयान के बाद ब्राह्मण समाज में खासा रोष व्याप्त है। समाज के लोग देवनानी को शिक्षा राज्यमंत्री के पद से हटवाने की मांग पर अड़े हुए हैं। सोमवार को ब्राह्मण समाज के सैंकडों लोग बजरंगगढ़ स्थित विजय स्मारक पर एकत्रित हुए। यहां देवनानी के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन किया गया। समाज के युवाओं ने ‘‘देवनानी कहना मान ले, बोरी बिस्तर बांध ले’’ और जब-जब ब्राह्मण बोला है, सिंहासन भी डोला है’’ जैसे नारे लगाकर अपने रोष का इजहार किया। समाज के लोगों ने अपना लहु निकलवाकर पत्र लिखे। उक्त पत्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को भेजे गए हैं। समाज के अध्यक्ष पण्डित सुदामा शर्मा ने कहा कि देवनानी अपने द्वारा दिए गए बयान को नकार रहे हैं वहीं किसी मीडिया को दिए इंटरव्यू में उन्होंने ब्राह्मण समाज के रोष के लिए उनकी ही पार्टी पर साजिश रचने का आरोप तक जड़ा है। ऐसे बार बार बयान बदलने वाले और पार्टी को ही कटघरे में खड़े करने वाले व्यक्ति को भाजपा शिक्षा राज्यमंत्री के पद से तुरंत बर्खास्त करे। यदि देवनानी को पद से नहीं हटाया जाता तो ब्राह्मण समाज के बच्चों से लेकर बूढ़े और महिलाएं तक सड़क पर उतरकर आंदोलन करेगी जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
नहीं मना सके देवनानी
शिक्षा राज्यमंत्री देवनानी ब्राह्मण समाज को अपने समर्थन में करने के लिए हर उपाय कर रहे हैं लेकिन समाज के अधिकांश लोग उनके विरोध में ही खड़े हुए हैं। देवनानी ने रविवार को वैष्णव ब्राह्मण समाज के रेलवे बिसिट स्थित समारोह में शिरकत की थी। यहां उन्होंने ब्राह्मण समाज की प्रशंसा में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने तो यहां तक कहा कि जो कुछ है आज ब्राह्मण समाज की बदौलत है। देवनानी के समर्थन में ब्राह्मण समाज के कुछ संगठनों ने प्रेस विज्ञप्ती भी जारी की थी लेकिन आज प्रदर्शन करने आए लोगों ने साफ चेता दिया कि ब्राह्मण समाज तब तक शांत नहीं बैठेगा जब तक देवनानी सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांग लेते या उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त नहीं किया जाता। प्रदर्शन करने वालों में एडवोकेट अजय त्रिपाठी, विवेक पाराशर, लोकेश शर्मा, अनुपम शर्मा, कैलाशचंद शर्मा सहित अन्य थे।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Saturday, 15 April 2017

देवनानी ने खुद माना प्रो. लिखना गलत!


प्रोफेसर लिखने को लेकर हाल ही में विवादों में फंसे सूबे के शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने स्वयं भी मान ही लिया है कि प्रोफेसर लिखना गलत है। क्योंकि देवनानी के कार्यालय से जारी प्रेस नोट से भी प्रो. शब्द हटा दिया गया है। वहीं विधानसभा की साईट से भी देवनानी के नाम के आगे लगा प्रो. शब्द अब नजर नहीं आ रहा है। इससे साफ लगता है कि देवनानी भी मानते हैं कि प्रोफेसर लगाना गलत ही है और यही कारण रहा कि विधानसभा की लिस्ट में से भी उनके नाम से प्रोफेसर हटा दिया गया। उधर देवनानी के पण्डित लगाने के बयान से ब्राह्मण समाज में रोष गहराता ही जा रहा है। जयपुर के ज्योति नगर थाने में तो ब्राह्मण समाज के पदाधिकारियों ने देवनानी के खिलाफ मुकदमा तक दर्ज करवाने की जानकारी  भी मीडिया के जरिए मिली है।
ये उतरे समर्थन में
देवनानी का जहां पूरा ब्राह्मण समाज विरोध कर रहे हैं वहीं पुष्कर के अखिल भारतीय सिखवाल ब्राह्मण महासभा के कोषाध्यक्ष और फाॅयसागर रोड़ निवासी रामगोपाल ओझा ने प्रेस विज्ञप्ति भेजकर देवनानी का समर्थन जताया है। उन्होंने कहा कि देवनानी हमेशा समाज को उचित सम्मान देते हैं। उनके बयान को तोड़ मरोड़कर प्रस्तुत किया जा रहा है।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Thursday, 13 April 2017

जिलास्तरीय जनसुनवाई पर उठे सवाल, फरियादियों ने किया हंगामा


एडीएम को कहा- भिजवा दो जेल
जिलास्तरीय जनसुनवाई पर गुरूवार को कई फरियादियों ने सवालिया निशान खड़े करते हुए हंगामा कर दिया। फरियादियों ने जिला प्रशासन पर जनसुनवाई के नाम पर लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करने की बात तक कह डाली। हंगामा कर रहे लोगों को सुरक्षाकर्मियों ने जनसुनवाई कक्ष से बाहर निकाला।
जिला कलक्टर गौरव गोयल नियमित रूप से जनसुनवाई करते हैं। गुरूवार को भी अटल सेवा केन्द्र मंे जनसुनवाई का आयोजन किया गया। इसमें एडीएम सिटी अरविंद सेंगवा सहित अन्य अधिकारी फरियादियों की पीड़ा सुन रहे थे। इसी दौरान कुछ फरियादियों ने जनसुनवाई में पिछले काफी समय से उनकी शिकायत रखने के बावजूद भी कार्रवाई नहीं होने की बात कहते हुए जमकर हंगामा किया। हंगामा कर रहे एक फरियादी ने तो एडीएम सिटी अरविंद सेंगवा को यहां तक कह दिया कि दम है तो भिजवाओ जेल। सेंगवा ने सुरक्षाकर्मियों के जरिए हंगामा कर रहे फरियादियों को बाहर का रास्ता दिखाया। हंगामे के दौरान जिला कलक्टर गौरव गोयल जनसुनवाई कक्ष में मौजूद नहीं थे। वहीं जनसुनवाई में आई राजकीय महिला इंजीनियरिंग काॅलेज की छात्रा पूजा चैधरी ने कहा कि एक साल से वह हर जनसुनवाई मंे छात्रवृति दिलवाने की गुहार लगा रही है लेकिन आज तक उसे छात्रवृति नहीं मिली। इससे उसकी आगे की पढ़ाई भी बाधित होती नजर आ रही है। बहरहाल जिला कलक्टर गौरव गोयल भले ही जनसुनवाई के जरिए जिलेवासियों को राहत देने की बात कहते हों लेकिन वास्तविक स्थिति इससे बिलकुल परे नजर आ रही है।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार) अजमेर
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Friday, 7 April 2017

लोग चाहते हैं इसलिए प्रोफेसर लगाते हैं देवनानी!

केप्शन- देवनानी द्वारा गणतंत्र दिवस पर दिया गया शुभकामना संदेश
हाईकोट ने देवनानी और मुख्य सचिव को दिया नोटिस
शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी के साथ कोई ना कोई विवाद जुड़ा ही रहता है। एक बार फिर देवनानी विवादों में आ गए हैं। इस बार देवनानी को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर पूछा है कि वह आधार पर अपने नाम के आगे प्रोफेसर लगाते हैं।
हाईकोर्ट ने शुक्रवार को लोकेश शर्मा की ओर से लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सूबे के शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी और मुख्य सचिव को नोटिस देकर जवाब तलब किया है। न्यायाधीश मनीष भंडारी की खंडपीठ ने यह नोटिस जारी किए हैं।
याचिकाकर्ता लोकेश शर्मा की एडवोकेट मनजीत कौर ने बताया कि पिछले लम्बे समय से वह शिक्षा विभाग, राज्य सरकार से देवनानी के प्रोफेसर लगाने के विषय में सवाल कर रहे हैं लेकिन कोई भी उनकी सुनवाई नहीं कर रहा। यहां तक कि लोकायुक्त को भी इस बारे में लिखा गया और विधानसभा में भी जवाब मांगा गया लेकिन उन्हंे संतोषप्रद जवाब नहीं दिया गया। कौर ने बताया कि देवनानी से सीधे भी पत्र के जरिए जवाब मांगा गया तो उनके निजी सचिव ने कहा कि लोग चाहते हैं इसलिए देवनानी अपने नाम के आगे प्रोफेसर लगाते हैं। कौर ने कहा कि न्यायाधीश मनीष भण्डारी ने चार सप्ताह में मुख्य सचिव व देवनानी को जवाब तलब करने के निर्देश दिए हैं।
पोर्टल पर भी प्रोफेसर
एडवोकेट मनजीत कौर ने बताया कि उन्होंने देवनानी की एजुकेशन का पता किया तो यह सामने आया कि देवनानी बी.ई किए हुए हैं। प्रोफेसर लिखने का अधिकारी देवनानी को नहीं है इसके बावजूद भी सरकारी दस्तावेजों, शिक्षा विभाग के पोर्टल सहित सभी स्थानों पर प्रोफेसर लिखा हुआ है जो कि गलत है। देवनानी कभी भी प्रोफेसर नहीं रहे हैं। पूर्व में यह लेक्चरर थे और उसी आधार पर प्रोफसेर शब्द का प्रयोग कर रहे हैं जो कि न्यायसंगत नहीं है।
क्या है नियम
मनजीत कौर ने बताया कि कोई भी व्यक्ति प्रोफेसर पद का प्रयोग तब कर सकता है जब वह इस पद पर हो। यदि कोई पूर्व में भी रहा हुआ हो तो भी वह प्रोफेसर नहीं लिख सकता। इसी तरह एमबीबीएस करके किसी अन्य प्रोफेशन में आने वाले व्यक्ति भी यदि डाॅक्टर लगाते हैं तो यह भी नियम विरूद्ध है।
गौरतलब है कि शिक्षा राज्यमंत्री ने पूर्व में अकबर के किले का नाम बदलने, गाय द्वारा आॅक्सीजन छोड़ने, सरकारी समारोह में वरिष्ठ व्याख्याता के बाल पकड़ कर घसीटे जोने सहित अन्य मामलों के विवाद जुडे़ हुए हैं। वहीं एक विवाद ओर जुड़ गया है।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार) अजमेर
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Thursday, 6 April 2017

राजस्थान लोक सेवा आयोग की साख पर सवाल







एलडीसी परीक्षा के ब्लाइंड अभ्यर्थी के साथ किया धोखा!
राजस्थान लोक सेवा आयोग भले ही जल्दी परिणाम घोषित कर या अन्य तकनीकें इस्तेमाल कर देश भर में भले ही वाहवाही बटोरने में सफल हो रहा हो लेकिन जमीनी हकीकत कुछ ओर ही है। आयोग की गलती के कारण एक अंधा (ब्लाइंड) अभ्यर्थी रोजाना आयोग कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर है और हद तो यह है कि कोई भी अधिकारी उसे सीधे मुंह जवाब तक नहीं दे रहा है।
राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित एलडीसी-2013 भर्ती परीक्षा में ब्लाइंड अभ्यर्थी राकेश कुमार जांगिड़ भी शामिल हुए थे। जांगिड़ का रोल नम्बर 181046 था और परीक्षा का सेंटर जयपुर के सीकर रोड़ स्थित गांधी बाल निकेतन आया था। राकेश ने बताया कि सुबह 9 से 12 बजे तक जनरल नाॅलेज और दोपहर 2 से 5 बजे तक जनरल हिन्दी व जनरल इंग्लिश का पेपर हुआ था। दोनों पेपर देकर ओएमआर की कार्बन काॅपी लेकर वह निकल गया था। कुछ समय बाद आरपीएसससी से उसके पास फोन आया और पूछा गया कि उसने परीक्षा दी या नहीं दी। यह सुनकर उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने परीक्षा देने और इसके साक्ष्य भी उसके पास होने की बात कही। इस पर उसे आरपीएससी कार्यालय बुलवाया गया। जांगिड़ ने बताया कि 20 जनवरी 2017 को आरपीएससी में सचिव के नाम प्रार्थना पत्र दिया और उसके साथ प्रथम व द्वितीय दोनों प्रश्न पत्रों की ओएमआर शीट की कार्बन काॅपी दी। जिसकी रिसिव्ड भी आरपीएससी अधिकारी ने दी और कहा कि परिणाम के बाद उसका परिणाम घोषित किया जाएगा। जांगिड़ ने बताया कि परिणाम जारी हुआ लेकिन परिणाम में उसे अनुपस्थित घोषित किया गया जबकि उसका कट आॅफ के आधार पर सलेक्शन भी हो रहा है। अब वह रोजाना आरपीएएसी अधिकारियों के चक्कर काट रहा है लेकिन कोई भी सीधे मुंह बात करने को तैयार नहीं। आरपीएससी चैयरमेन ललित के पंवार से भी मुलाकात कर अपनी परिवेदना बताई लेकिन उन्होंने अधीनस्थ अधिकारियों को भिजवाने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया।
अदालत का लेंगे सहारा
राकेश जांगिड़ ने कहा कि 7 अप्रेल दस्तावेज सत्यापन की अंतिम तिथि है और उसे आयोग अधिकारी कुछ जवाब नहीं दे रहे। आयोग की गलती का खामियाजा उसे भुगतना पड़ रहा है। ऐसे में वह न्यायालय की शरण लेगा और अपने सभी दस्तावेज प्रस्तुत कर दोषियों पर कार्रवाई व उसे ज्वाइनिंग दिलवाने की मांग करेगा।
मेरी जानकारी में नहीं
इस संबंध में जब आरपीएससी के अधिकारियों से उनका पक्ष जानना चाहा तो सचिव गिरीराज सिंह कुशवाहा ने कहा कि मैं तो खाना खा रहा हूं। इतने अभ्यर्थी होते हैं किस किस का ध्यान रखे। उपसचिव भगवत सिंह राठौड़ से बात कीजिए। जब उपसचिव राठौड़ को काॅल किया गया तो उन्होंने भी जानकारी नहीं होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया। वहीं आरपीएससी चैयरमेन ललित के पंवार इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
आयोग कटघरे में
जहां आरपीएससी बड़ी बड़ी सुरक्षा के दावे करती है। इसी बीच अभ्यर्थी की आॅरिजनल ओएमआर शीट गायब होना अपने आप में बड़ी चूक है। यदि इस तरह से ओएमआर शीट तक गायब हो सकती है तो आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठना लाजमी है। 
नवीन वैष्णव
(पत्रकार) अजमेर
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