Monday, 20 March 2017

संथारा लेने वाले कोटेचा का महाप्रयाण, दस दिन पूर्व त्यागा था अन्न जल


अजमेर के किशनगढ़ स्थित शिवाजी कॉलोनी में रहने वाले 86 वर्षीय बुजुर्ग बंशीलाल कोटेचा ने करीब दस दिन पूर्व संथारा ले लिया था। उन्होंने रविवार देर रात्रि को अं​तिम सांस ली। सोमवार सुबह उनकी अं​तिम यात्रा शहर के विभिन्न स्थानों से गुजरी। उन्हें अन्न जल त्यागे दस दिन से अधिक समय हो गया था।
जानकारी के अनुसार उनके पेट में कैंसर की गांठ होने से वह पिछले डेढ माह से कुछ खा पी नहीं रहे थे। इसके चलते उन्होंने मुनि प्रमाण सागर की प्रेरणा और महाराज सा ज्ञानलाता के सान्निध्य में संथारा ले लिया था।  पूरा परिवार संथारा लेने के बाद बुजुर्ग बंशीलाल कोटेचा के पास ही था। उनके रिश्तेदारों का कहना है कि संथारा लेने के पीछे मुख्य उद्देश्य आत्मा का पवित्र करना है। समाज के महाराज भी अंतिम समय में संथारा लेकर ही प्राण त्यागते हैं।
संथारा जैन धर्म में सबसे पुरानी प्रथा मानी जाती है। इसे संल्लेखना भी कहते हैं। जैन समाज में इस तरह से देह त्यागने को बहुत पवित्र कार्य माना जाता है। इसमें जब व्यक्ति को लगता है कि उसकी मृत्यु निकट है, तो वह खुद को एक कमरे में बंद कर खाना-पीना त्याग देता है।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार) अजमेर
9252958987
navinvaishnav5.blogspot.com

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