अजमेर के जेएलएन अस्पताल में अज्ञात कुमाता अपनी पांच-छह दिन की नवजात संतान का केवल इसलिए त्याग करके चली गई कि उनकी संतान थर्ड जेंडर थी। पुलिस ने आईपीसी की धारा 317 के तहत मुकदमा दर्ज कर जनाना अस्पतालों का रिकाॅर्ड खंगालना शुरू कर दिया।
जवाहरलाल नेहरु अस्पताल के मेडिकल ज्यूरिस्ट डिपार्टमेंट के पीछे शव ढोने वाली ट्रोली पर बच्चा होने की जानकारी ने हडकम्प मचा दिया। उसे अस्पताल के शिशुरोग विभाग में भर्ती करवाया गया जहां उसका इलाज चल रहा है। नवजात मासूम की जांच में सामने आया कि वह थर्ड जेंडर है। मासूम के हाथ में अस्पताल का कैनुला भी लगा हुआ था। सूचना पर पहुंची कोतवाली थाना पुलिस ने अज्ञात कुमाता और पिता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर शहर के जनाना अस्पतालों का रिकाॅर्ड खंगालना शुरू कर दिया है।
क्या कहता है कानून
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रीतम सिंह सोनी से जब इस संबंध में जानकारी चाही तो उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने थर्ड जेंडर को अलग से मान्यता दी है। अब नौकरियों में भी थर्ड जेंडर का कोटा रहेगा। यदि किसी माताकृपिता के ऐसी संतान पैदा होती है तो उनका नैतिक कर्तव्य है कि वह उसे पालें। बच्चे को लावारिस छोड़ना न्याय संगत नहीं है।
कानून में बारह वर्ष से कम आयु के बच्चे का परित्याग करना या उसे किसी अरक्षित स्थान पर छोड़ देने वाले व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 317 के तहत कार्रवाई की जाती है। इसके अर्न्तगत साल सात तक का कठोर कारावास और जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
नवीन वैष्णव
पत्रकार, अजमेर
9252958987
navinvaishnav5.blogspot.com
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