Sunday, 28 May 2017

बच्चों पर नहीं बनाएं अनावश्यक दबाव

राजस्थान बोर्ड और सीबीएसई के परिणाम जारी हो रहे हैं। किसी को अच्छे नम्बर मिले होंगे तो कुछ स्टूडेंटस को उम्मीद के अनुसार नम्बर नहीं मिल सके होंगे वहीं कुछ इस परीक्षा में सफल भी नहीं हो पाए होंगे। परिणाम को लेकर माता-पिता को भी खासी उम्मीदें रहती है और फिर उम्मीद पूरी नहीं होने पर वह अपने बच्चों को बुरा भला कहते हैं और किसी अन्य के बच्चों से तुलना करते हैं। इससे बच्चे मानसिक तनाव में आ जाते हैं और इसी आवेश में आकर कई जिंदगी को भी अलविदा कह जाते हैं।
परीक्षा परिणाम से हताश होने के बजाय बच्चे अपने मन में गांठ बांध ले कि यदि इस बार परीक्षा में अच्छे अंक नहीं ला सकें तो अगली बार अवश्य ही अच्छे अंकों से पास हो। गत वर्ष हुई गलतियों को नहीं दोहराते हुए पुनः नए सिरे से पढ़ाई मंे जुट जाएं, ओर यदि कोई पढ़ाई से ही जी चुरा रहा है तो वह किसी अपने पसंद के क्षेत्र में दिमाग लगाए और ऐसा करके दिखाएं जिससे लोग उनकी प्रशंसा करते नहीं थके।
माता- पिता दे स्वतंत्रता
बच्चों का परिणाम अच्छा नहीं आने पर माता पिता बजाय उसको डांटने के उसे प्यार से बात करें और जानें कि आखिर क्या कारण रहा जो उसके कम नम्बर आए। कहीं ऐसा तो नहीं कि पढ़ाई में उसे किसी तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा हो या उसे पढ़ाई का माहौल नहीं मिल पा रहा हो। उसकी परेशानी जानने के साथ ही माता पिता को बच्चे के दसवीं पास करके विषय का चयन करने में उसकी मदद करनी चाहिए ना कि उस पर दबाव बनाया जाए कि हमने साइंस से पढ़ाई की है तो तुम भी साइंस ही पढ़ो। इस तरह के दबाव के कारण भी कई बच्चों का परिणाम बिगड़ता है। हो सकता है बच्चा आर्टस लेकर आईएएस, आईपीएस बनने की क्षमता रखता हो लेकिन माता पिता उसे डाॅक्टर या इंजीनियर तक ही बनाने का सोचते हैं। इससे बच्चा ना तो डाॅक्टर इंजीनियर बन पाता है और यदि किसी सूरत में बन भी गया तो वह पूरी जिंदगी अपने प्रोफेशन से खुश नहीं रहता है।
आमिर खान ने दी सीख
आमिर खान ने बच्चों को अपने निर्णय स्वयं करने के संबंध में सीख फिल्म थ्री ईडियट में भी दी थी। जिसे लोगों ने खूब सराहा भी था लेकिन यह बातें अधिकांशतया फिल्म देखने के समय याद होती है और जैसे ही व्यक्ति अपनी दिनचर्या में आता है उसे कुछ भी ध्यान नहीं रहता और वह अपने बच्चों में वही देखना चाहता है जो उसके सपने हैं। मैं यह नहीं कहता कि मां-बाप सपने नहीं देखे लेकिन सपनों को लेकर अपने बच्चों की राय भी अवश्य जानें कि वह इसमें रूचि भी रखते हैं या केवल उनके दबाव के कारण ही यह करने को तैयार है।
बढ़ती है आपराधिक प्रवृति
जिन बच्चों को माता-पिता हर समय पढ़ाई और उनके द्वारा बताए लक्ष्य के लिए टोकते हैं। उनमें से अधिकांश बच्चे आपराधिक प्रवृति की ओर बढ़ जाते हैं। इसका उदाहरण हाल ही में देखा गया। जिसमें मुम्बई के बहुचर्चित शीना बोरा हत्याकाण्ड के अनुसंधान अधिकारी पुलिस इंस्पेक्टर ज्ञानेश्वर गणोरे के बेटे सिद्धांत गणोरे ने अपनी ही मां दीपाली की हत्या कर दी। हत्या का कारण मात्र इतना था कि सिद्धांत अपनी मां दीपाली के रोज-रोज टोकने से खफा चल रहा था और उसने आवेश में आकर मां को मौत के घाट उतार दिया। इस पूरे मामले में भी पढ़ाई और मां-बाप की रोक टोक ने ही पूरे परिवार की खुशियां चंद मिनटों में काफूर कर दी। इसी तरह कई बच्चे दबाव में आकर घर छोड़ कर चले जाते हैं और अपराध की दुनिया में कदम रख देते हैं तो कुछ सुसाईड कर लेते हैं।
जिंदगी की परीक्षा जीतें
जिन बच्चों का परिणाम हाल ही में आया है या आने वाला है, उनसे एक ही अपील है कि मार्कशीट एक कागज का टुकड़ा है। इसके कारण कोई ऐसा कदम नहीं उठाएं जिससे कि आपका पूरा परिवार पछताने को मजबूर हो जाए। यदि किसी कारणवश आप इस परीक्षा में फेल भी हो गए हैं तो यह ध्यान रखें अभी जिंदगी की परीक्षा काफी बाकि है और उस परीक्षा में आपकी जीत अवश्य ही होगी। इस परीक्षा की हार से अपने आप को कमजोर ना बनाएं और दुगुनी मेहनत के साथ फिर से तैयारी में जुट जाएं।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Saturday, 27 May 2017

सिक्ख युवकों से मारपीट मामले में एसपी ने की त्वरित कार्रवाई

सरपंच सहित तीन आरोपी गिरफ्तार,एक काॅन्सटेबल लाईनहाजिर
अजमेर जिले के चैनपुरा गांव में गुरूद्वारे के लिए अन्न मांगने गए सिक्खों की बेरहमी से पिटाई कर विडियो वायरल करने के मामले में जिला पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह चैधरी ने त्वरित कार्रवाई की है। मामले में सरपंच सहित तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं मौके पर मौजूद एक काॅन्सटेबल को लाईन हाजिर किया है। मामले की विभागीय जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पूरण सिंह भाटी को सौंपी गई है।
जिला पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह चैधरी ने बताया कि चैनपुरा गांव में हरिद्वार के गुरूद्वारे के लिए अन्न मांगने अलवर खैरथल के सिक्ख समाज के कुलदीप सिंह, हरपाल सिंह और मलकीत सिंह गए थे। यहां पर कुछ लोगों ने सिक्ख युवकों की बोलेरो को रूकवाकर उनके साथ मारपीट की और इसका विडियो बनाकर सोशल मीडिया के जरिए वायरल किया। इस घटना के बाद सिक्ख समाज में गहरा रोष व्याप्त था। शनिवार को पीड़ित युवकों की ओर से नसीराबाद सदर थाने में विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया साथ ही आरोपी चैनपुरा सरपचं रामदेव सिंह रावत, श्रवण सिंह रावत और राजू सिंह रावत को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया कि विडियो के आधार पर अन्य आरोपियों की तलाश भी की जा रही है। उक्त मामले की जांच नसीराबाद उपाधीक्षक जगदीश  राव को सौंपी गई है।
सिपाही लाईन हाजिर
बताया जा रहा है कि नसीराबाद सदर थाने का सिपाही बुद्धाराम मौके पर मौजूद था लेकिन वह सिक्ख युवकों को पीटने से  नहीं बचा सका। इससे बुद्धाराम को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए एसपी राजेन्द्र सिंह चैधरी ने तुरंत प्रभाव से लाईन हाजिर करने के आदेश दिए हैं। एसपी चैधरी ने कहा कि मामले की विभागीय जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पूरण सिंह भाटी को सौंपी गई है। इसमें जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ भी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
धर्म से जुड़े हैं
पीड़ित पक्ष ने बताया कि वह देश भर में गुरूद्वारे के लिए अन्न एकत्रित करते हैं। धर्म से जुड़े होने के कारण वह इस मामले में कोई कार्र्रवाई नहीं चाहते थे क्योंकि ऐसा करने से उन्हें अन्य जगहों से अन्न एकत्रित करने में परेशानी होती। इस विडियो के वायरल  होने के बाद समाज और उनकी धार्मिक संस्थाओं ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाकर कार्रवाई करवाने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि यदि कार्रवाई हो जाएगी तो भविष्य में ऐसी घटना की  पुनरावृति नहीं हो पाएगी। सभी के दबाव के चलते उन्होंने मुकदमा दर्ज करवाया और पुलिस ने भी तुरंत आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
पंजाब के मुुख्यमंत्री का भी हस्तक्षेप
मामला सामने आने के बााद पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी घटना की कडे़ शब्दों में निंदा की थी और उन्होंने राजस्थान की  मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से आरोपियों की तुरंत गिरफ्तातरी करवाने की मांग की थी। सीएम राजेे ने भी उन्हें आश्वस्त किया था कि किसी भी सूरत में आरोपी बख्शे नहीं जाएंगे।
गहरा सकता था मुद्दा
सिक्ख युवकों से मारपीट का विडियो वायरल होने के बाद सिक्ख समाज में गहरा रोष व्याप्त हो गया था।  उक्त मामले में यदि जल्द ही कार्रवाई नहीं की जाती तो यह मुद्दा देश भर में गहरा सकता था लेकिन जिला पुलिस अधीक्षक ने इस मामले में जरा भी ढिलाई नहीं बरतते हुए तुरंत कार्रवाई की। इससे सिक्ख समाज के लोग  शांत हो जाएंगे।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Tuesday, 23 May 2017

पुलिस गार्ड के निरीक्षण में घोर लापरवाही हुई उजागर

एसपी का गार्ड मिला अलर्ट, 33 गैरहाजिर
जिला पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह ने अपने चिर परिचित अंदाज  में मंगलवार को शहर के विभिन्न स्थानों व अधिकारियों के यहां लगाई गई पुलिस गार्ड की चैकिंग के आदेश दिए। जब गार्ड की चैकिंग  की गई तो घोर लापरवाही उजागर हुई। केवल एसपी का गार्ड अलर्ट मिला बाकि 33 गार्ड गैरहाजिर मिले।
जिला पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह ने पुलिस निरीक्षक नागरमल कुमावत को शहर के विभिन्न स्थानों पर लगाई गई पुलिस गार्ड का निरीक्षण करने के निर्देश दिए। जब कुमावत निरीक्षण पर निकले तो उन्होंने पाया कि अधिकांश स्थानों पर गार्ड गायब है तो कहीं पर बिना हथियारों के केवल मात्र टाईम पास किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए पुलिसलाईन के रोजनामचे के अनुसार 33 पुलिस के गार्ड गैरहाजिर मिले। कई तो ऐसे स्थान थे जहां से गैरहाजिर होना पुलिस के लिए परेशानी का सबब भी बन सकता था। वहीं कई स्थानों पर गार्ड मिली तो सही लेकिन सोते हुए या फिर मोबाईल से खेलते हुए।
जेल की सुरक्षा पर फिर सवाल
सीआई नागरमल कुमावत के निरीक्षण के दौरान केन्द्रीय कारागृह की सुरक्षा पर भी सवालिया निशान खड़े हुए हैं। उन्होंने रोजनामचे में लिखा कि जेल की सुरक्षा व्यवस्था बिलकुल भी सही नहीं है। मुख्य गेट पर आरएसी का संतरी गुम मिला, द्वितीय गेट पर भी कोई नहीं था एक महिला आरएसी की काॅन्सटेबल बैठी थी जिसका ध्यान पूरी तरह मोबाईल में था।
वरिष्ठ अधिकारियों के गार्ड भी गुम
इस औचक निरीक्षण में सामने आया कि वरिष्ठ अधिकारियों के गार्ड भी गुम है। हाईकोर्ट जज महेन्द्र माहेश्वरी, संभागीय आयुक्त हनुमान सहाय मीणा, आईजी मालिनी अग्रवाल, जिला कलक्टर गौरव गोयल, जिला एवं सैशन न्यायाधीश विष्णुदत्त शर्मा सहित अन्य की गार्ड भी गैरहाजिरी थी। जिनकी गैरहाजिरी दर्ज कर दी गई।
नौकरी में एडजस्टमेंट
राजस्थान पुलिस के अधिकारी ने बताया कि सभी स्थानों पर गार्ड का यही हाल होता है, हालांकि इसे सुधारना आवश्यक भी है। उन्होंने कहा कि जहां भी गार्ड लगाई जाती है सभी एक दुसरे से एडजस्ट करके नौकरी करते हैं। दो दिन एक गैर हाजिर होता है तो दो दिन दुसरा। इस तरह से काम करके सरकार को चूना लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के निरीक्षण से ही लोग नौकरी से जी चुराने से बच सकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि गार्ड में लगने के लिए पुलिस लाईन के आरआई की आवभगत भी करते हैं।
की जाएगी कार्रवाई
इस पूरे मामले पर जब जिला पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह चैधरी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि काफी लापरवाही सामने आई है। सभी गैर हाजिर पुलिसकर्मियों की लापरवाही की गंभीरता को देखते हुए विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Monday, 22 May 2017

गर्भवती पूनम छाबड़ा शराबबंदी के लिए 9 जून से करेगी अनशन

तो क्या हो सकेगी राजस्थान में शराबबंदी?
राजस्थान में शराबबंदी के लिए जो पूर्व विधायक स्व. गुरूशरण छाबड़ा अपने प्राणों की आहूति दे चुके हैं अब उन्हीं की पुत्रवधु पूनम अंकुर छाबड़ा ने अनशन की चेतावनी दी है। छाबड़ा ने कहा कि 8 जून तक यदि शराबबंदी नहीं होती तो वह अनशन करेंगी।
पूनम अंकुर छाबड़ा ने कहा कि उसके ससुर ने भी शराबबंदी के लिए अपने प्राण त्याग दिए थे। सरकार ने उनके साथ किए हुए समझौतों पर अमल नहीं किया। वर्तमान में भी कई बार सरकार उन्हें कई आश्वासन दे चुकी है लेकिन सरकार इन पर अमल नहीं करती है। छाबड़ा ने कहा कि 9 जून को स्व. गुरूशरण छाबड़ा की जयंती है और इसी दिन से वह अनशन शुरू करेंगी।
सरकार पर होगा दबाव
पूनम छाबड़ा इन दिनों गर्भवती है और ऐसे समय में वह अनशन करती है तो उनकी तबियत बिगड़ने की पूरी सम्भावनाएं है। यह चेतावनी सरकार के लिए भी खासी चिंताजनक हो सकती है। सरकार कैसे पूनम छाबड़ा को अनशन से रोकती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा हालांकि पूनम ने भी साफ कहा कि इस बार वह किसी भी तरह के आश्वासन से नहीं मानने वाली, वह सम्पूर्ण राजस्थान में शराबबंदी चाहती है। यदि सरकार यह नहीं करती है तो वह भी अपने ससुर की तरह हंसते हुए प्राणों की बाजी लगा देगी।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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सरकारी कर्मचारी से बदसलूकी पडे़गी भारी, होगा मुकदमा दर्ज


जिला कलक्टर गौरव गोयल ने जिला पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर दिए निर्देश
जिला कलक्टर गौरव गोयल ने सोमवार को सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए खासा राहत भरा आदेश जारी किया। उन्होंने आए दिन कर्मचारियों के साथ अभद्रता की घटनाओं को गम्भीरता से लेते हुए ऐसे लोगों के खिलाफ तुरंत मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में  इस संबंध में जिला पुलिस अधीक्षक को भी निर्देश दिए गए हैं। कलक्टर गोयल ने राजमार्गों एवं अन्य सड़कों के किनारे ट्यूबवैल खुदवाकर पूरा दिन सड़क पर पानी बहाने एवं सड़कों को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ भी सख्त कार्यवाही के आदेश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी सम्पत्तियों, मार्ग संकेतकों और भवनों आदि पर पोस्टर, बैनर व अन्य प्रचार सामग्री चिपकाने वालों के खिलाफ भी मामला दर्ज कराया जाएगा। अब से पहले कर्मचारियों से बदसलूकी के बाद भी पुलिस कोई विशेष ध्यान नहीं देती थी। विद्युत विभाग के सहायक अभियंता के साथ गत दिनों खानपुरा गांव में मारपीट की गई थी और दांत भी तोड़ दिया गया था। इसके बावजूद भी पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं किया था। जब विभाग के अन्य अधिकारियों ने और संगठन ने दबाव बनाया तब जाकर मुकदमा दर्ज किया गया। अब कलक्टर के आदेश के बाद कर्मचारियों से बदसलूकी करते ही और पुलिस को शिकायत देते ही मजबूरन मुकदमा दर्ज करना पड़ेगा।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Saturday, 20 May 2017

लाल बत्ती का नहीं छूट रहा मोह !


देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल बत्ती पर भले ही रोक लगा दी हो लेकिन हमारे वीआईपी से इसका मोह छूट नहीं रहा है। शनिवार को यह नजारा अजमेर जिले के ब्यावर में देखने को मिला।
ब्यावर सिटी थाने के पास ही हरियाणा नम्बर की स्काॅर्पियो पर लाल बत्ती लगी गाड़ी खड़ी थी। स्काॅर्पियो पर लाल बत्ती लगी देख स्थानीय जागरूक नागरिक सुमित सारस्वत वहां पहुंचे और फोटो खींचने लगे। सुमित को फोटो खींचता देख स्काॅर्पियो के पास दो युवक आए और उन्होंने लाल बत्ती हटा ली। सुमित ने बताया कि स्थानीय लोगों ने उन्हें जानकारी दी कि स्काॅर्पियो शुक्रवार रात्रि से ही ब्यावर सिटी थाने के सामने स्थित होटल विक्रांत के बाहर लाल बत्ती लगी स्काॅर्पियो खड़ी थी। स्काॅर्पियों में सवार लोग खासा रौब भी झाड़ रहे थे और संभवतया उन्होंने होटल में कमरा भी बुक करवाया था।
पुलिस को नहीं भनक
इस संबंध में जब थानाधिकारी यशवंत सिंह यादव से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस तरह की जानकारी उन्हें मिली है। आस-पास में पुलिसकर्मियों को भेजकर स्काॅर्पियो की तलाश करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि होटल में उक्त व्यक्ति रूके या नहीं रूके इसकी भी जांच करवाई जाएगी और नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
कितने जागरूक हैं हम?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस एलान के बारे में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो जानकारी नहीं रखता हो। इसके बावजूद भी किसी को यह लाल बत्ती की गाड़ी नजर नहीं आई और खास तौर से पुलिस को, जो हमेशा चैकन्ना रहती है। पुलिस को इसकी जानकारी भी तब लगी जब उन्हें इस बारे में बताया गया।
पुलिस अधिकारी की कार!
बताया जा रहा है कि उक्त कार हरियाणा के पुलिस अधिकारी की है और वह ब्यावर में किसी काम से आया था। खैर उक्त गाड़ी किसकी थी और उसने किस उद्देश्य से लाल बत्ती लगाकर नियमों को धत्ता बताया, यह तो पुलिस जांच का विषय है।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Thursday, 18 May 2017

"हम सुधरेंगे-जग सुधरेगा" तकनीक पर एसपी राजेन्द्र कर रहे काम


जिले के पुलिसकार्मिकों को ही नियमों का पढ़ाया जा रहा पाठ
अजमेर के नवनियुक्त जिला पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह ने "हम सुधरेंगे जग सुधरेगा" तकनीक पर काम शुरू कर दिया है। एसपी ने यातायात नियमों का उल्लंघन कर रहे पुलिसकर्मियों को ही सबक सिखाने के लिए पुलिस लाईन के बाहर यातायातकर्मियों को तैनात कर दिया है। यातायातकर्मी पुलिसकर्मियों के चालान काटकर उन्हें यातायात का पाठ पढ़ा रहे हैं। वहीं अन्य तरीके भी बेहतर पुलिसिंग के लिए अपनाए जा रहे हैं।
नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह ने हाल ही में अजमेर की कमान संभाली है। कमान संभालते ही उन्होंने आमजन को सुधारने से पहले पुलिसकर्मियों को सुधारने के आदेश दिए हैं। एसपी के आदेश से जिला पुलिस लाईन के बाहर यातायात के उपनिरीक्षक वीडी शर्मा और उनके सहयोगी डयूटी दे रहे हैं। शर्मा ने बताया कि एसपी के आदेश से पुलिस लाईन में आने और जाने वाले पुलिसकर्मियों द्वारा हेलमेट नहीं लगाने, कार पर काली फिल्म चढ़ी होने, मुंह पर स्कार्फ बांधने सहित अन्य उल्लंघनों पर कार्रवाई अमल में लाई जा रही है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही आमजन के भी चालान काटे जा रहे हैं। शर्मा की मानें तो गुरूवार को 150 ई-चालान और 30 से अधिक चालान काटे गए। वहीं तीन बिना परमिट की बसें भी जप्त की गई।
बेहतर पुलिसिंग के लिए जरूरी
एसपी राजेन्द्र सिंह ने बताया कि बेहतर पुलिसिंग के लिए सबसे पहले खुद में ही सुधार की आवश्यकता होती है। यदि पुलिसकर्मी नियम और कानून से चलेगा तो आमजन भी इससे अलग नहीं जा सकता।
एक्टिव हुआ पीआरओ पीसीआर
तत्कालीन पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने जिस पीआरओ पीसीआर का गठन किया था। वह पीआरओ पीसीआर पूर्व एसपी नितिनदीप ब्लग्गन के समय सुस्त पड़ गया था। नए जिला पुलिस कप्तान के पदभार ग्रहण करने के बाद देखा गया है कि जिले की काफी कार्रवाई की सूचनाएं इसमें मिल पा रही है।
आमजन को बंधी है उम्मीद
एसपी राजेन्द्र सिंह की कार्यशैली से हालांकि शहरवासी ज्यादा वाकिफ नहीं है और शहरवासियों के मन में अभी भी पूर्व पुलिस अधीक्षक विकास कुमार की छवि बैठी हुई है। यहां के लोग तत्कालीन एसपी ब्लग्गन का तबादला करवाकर भी विकास कुमार को ही वापस जिले में लगवाना चाहते थे। इसके लिए कई ज्ञापन भी दिए गए। अब बात यदि एसपी राजेन्द्र सिंह की करें तो इनके आदेश जारी होने के बाद शहरवासियों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि अब शहर में क्राईम कन्ट्रोल हो सकता है और जिन परेशानियों से लोग जूझ रहे थे उससे निजात मिल सकती है।
अब शहरवासी कितना सही सोचते हैं और कितना गलत, यह तो आने वाले दिनों में होने वाली पुलिसिंग और जिला पुलिस कप्तान की कार्यप्रणाली ही बताएगी।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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घायल ने 108 एम्बुलैंसकर्मी पर लूट का जड़ा आरोप


न्यूज 21 के कैमरामेन की सजगता से एम्बुलैंसकर्मी ने थाने में जमा करवाया सोने का कुण्डल
राज्य सरकार ने 108 एम्बुलैंस की सेवा आपातकालीन समय में आमजन की सहायता के लिए चलाई थी लेकिन गुरूवार को एम्बुलैंस सेवा का दुसरा ही रूप देखने को मिला। एम्बुलेंसकर्मी द्वारा एक घायल ग्रामीण से सोने का कुण्डल छीनने का मामला सामने आया। मीडियाकर्मी की सजगता के चलते छीना गया कुण्डल मेडता सिटी थाने में जमा करवाया गया।
फलौदी निवासी मोहन ट्रेन से डेगाना जा रहा था। मोहन ने बताया कि रास्ते में उसे किसी ने चलती ट्रेन से धक्का दे दिया। इसके बाद उसे सुध बुध नहीं थी। जब उसे होश आया तो वह एम्बुलैंस में था और एक युवक उसके कान का सोने का कुण्डल खोल रहा था। पूरी तरह से होश में नहीं होने के कारण वह ज्यादा विरोध  नहीं कर  सका। मोहन की बात सुनकर न्यूज 21 के कैमरामेन विजेन्द्र सिंह ने जेएलएन अस्पताल में पता करके एम्बुलैंसकर्मी हरेन्द्र ततेरवाल को फोन किया और उस पर लगाए गए आरोपों की पुष्टि की तो हरेन्द्र आग बबूला हो गया। उसने मोहन को झूठा बताते हुए उसके खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही। कुछ ही देर बार वापस हरेन्द्र ने कैमरामेन विजेन्द्र को फोन किया और एम्बुलैंस के ही दुसरे चालक हरेन्द्र को एम्बुलैंस में कुण्डल मिलने की बात कही। विजेन्द्र ने उक्त कुण्डल को थाने में जमा करवाने पर जोर दिया।
थाने में जमा कुण्डल
मेडता सिटी थाने के थानाधिकारी तुलसीराम ने बताया कि हरेन्द्र ततेरवाल उसके पास आया और एम्बुलैंस में घायल मोहन का कुण्डल मिलने की बात कही। उसकी बात कोतवाली चैकी में तैनात महिला काॅन्सटेबल अनिता से भी करवाई गई। इसके बाद उसने कुण्डल थाने में सुरक्षित रखवा दिया।
हरेन्द्र दो है
इस संबंध में जब हरेन्द्र तेतरवाल से फोन करके बात की गई तो उसने कहा कि मोहन रेण के पास रेलवे लाईन के पास लावारिस मिला था। मेडता से उसे अजमेर रैफर किया गया था। हरेन्द्र ने कहा कि मेड़ता सिटी में एम्बुलैंस के दो ड्राईवर है और दोनों का नाम हरेन्द्र हैं। उसने तो थाने में जाकर जमा करवाने में मदद की है। हरेन्द्र ने फोन पर भी झूठा बदनाम करने और घायल मोहन के खिलाफ केस करने की बात भी कही।
जो आरोप घायल मोहन ने लगाए उसमें जरा भी सच्चाई है तो यह मानवता को शर्मसार करती है। घायल जिसे कुछ भी होश नहीं उसके साथ कुछ  भी किया जा सकता है लेकिन मानवता तो यह है कि यदि उसका कोई आभूषण और रूपए गिर भी जाए तो वापस करके अपना धर्म निभाए।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Monday, 15 May 2017

भदेल ने पार्टी से अलग गिनाए अपने विकास कार्य

वर्तमान समय में देश की सबसे मजबूत पार्टी भारतीय जनता पार्टी को ओर मजबूत बनाने के लिए जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह दिन रात मेहनत कर रहे हों लेकिन अजमेर के नेता आपसी झगड़ों में ही उलझे रहते हैं। इससे पार्टी को आगामी चुनावों में नुकसान होने की भी संभावना है।
शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी और महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री अनिता भदेल के बीच का मनमुटाव शायद ही किसी बड़े नेता से छिपा हो। यह आपसी मतभेद कम होने की बजाय बढ़ता जा रहा है। इन दिनों हर बैठक में किसी ना किसी बात पर गुटबाजी सामने आ ही जाती है। रविवार को यूडीएच मंत्री श्रीचंद कृपलानी बैठक लेने और यहां की व्यवस्थाएं देखने अजमेर आए थे। बैठक में उन्होंने भदेल और देवनानी को पास-पास बैठाने के लिए अपनी कुर्सी छोड़ दी। दोनों कृपलानी की बात रखने के लिए पास बैठ भी गए। बात तब बिगड़ी जब भाजपा शहर अध्यक्ष अरविंद यादव ने जिले के विकास कार्यों को एक साथ गिनाया तो इसका एडीए चैयरमेन शिवशंकर हेड़ा ने विरोध दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि शहर  के विकास कार्य अलग से दर्शाने चाहिए थे, इस पर यादव ने उन्हें यह कहकर चुप करवाया कि कहीं भी काम हुआ करवाया पार्टी ने ही है, ऐसे में इसे मुद्दा नहीं बनाया जाए। यह सुनकर मंत्री भदेल ने हाल ही में सम्पन्न करवाई गई क्रिकेट  प्रतियोगिता का जिक्र शुरू कर दिया तो यादव तमतमा उठे और उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता उनके स्तर पर हुई थी इसमें पार्टी को तवज्जो नहीं दी गई। दोनों के बीच हुई नोक झोंक को मंत्री कृपलानी व अन्य भाजपा नेताओं ने समझा बुझाकर शांत करवाया।
सोमवार दोपहर मंत्री भदेल ने अलग से प्रेस नोट जारी कर उनके द्वारा गत वर्ष में करवाए गए कार्यों की जानकारी दी गई। जिसमें बताया गया कि 188.60 करोड़ रूपए के विकास कार्यों को स्वीकृति अपने विधायक कोष से स्वीकृत किए हैं। उन्होंने हर एक विकास कार्य की जानकारी भी इसमें दी ।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Saturday, 13 May 2017

निजी हाॅस्पिटल पर एसओजी की रहेगी पैनी नजर


मनमानी वसूली से मरीजों को मिल सकेगी निजात
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए एसओजी को प्राईवेट हाॅस्पिटल द्वारा वसूली जाने वाली कीमतों पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं। एसओजी ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है। इससे आमजन को राहत मिलने की उम्मीद जागी है।
राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकलपीठ ने ज्ञानेन्द्र कुमार पारीक की याचिका पर सुनवाई करते हुए एक आदेश जारी किया है। जिसमें कहा गया कि एसओजी निजी अस्पतालों में लगातार मिल रही मरीजों से लूट की शिकायतों पर विशेष ध्यान दें और इसकी जांच करके रिपोर्ट 5 जुलाई तक प्रस्तुत करें। उक्त आदेश में मुख्य रूप से हृदय रोग के इलाज में प्रयुक्त होने वाले स्टंट की कीमतों की जांच करने के विशेष निर्देश दिए हैं। आदेश में राज्य सरकार को भी लताड़ लगाई गई है और सवाल किया गया कि निजी अस्पतालों की कीमतों पर नियंत्रण के लिए क्या कदम उठा रही है। यदि अब तक कदम नहीं उठाए गए तो इस पर जल्द से जल्द नियम बनाकर लूट खसोट पर अंकुश लगाया जाए।
बीमा कम्पनी से पुर्नभरण
उक्त मामले में एडवोकेट की दलील पर न्यायाधीश ने कहा कि बीमा कम्पनी से यदि पुर्नभरण हो रहा है, इसका मतलब यह नहीं है कि मनमानी कीमतें वसूली जाए। यदि ऐसा किया जा रहा है तो उनके विरूद्ध कार्रवाई अमल में लाई जाए, जिससे कि आमजन को राहत मिल सके और बेवजह बीमा कम्पनियों से भी अधिक राशि नहीं वसूली जाए।
अजमेर में भी दें ध्यान
हाईकोर्ट ने जो टिप्पणी की है और जो आदेश दिए हैं वह बहुत जरूरी भी है क्योंकि वर्तमान में अधिकांश निजी हाॅस्पिटल में मनमानी कीमतें वसूली जा रही है। वहीं जब बात यदि बीमा होने की आ जाए तो फिर तो कहना ही क्या? ऐसे में अजमेर में भी कई बार निजी अस्पताल संचालकों द्वारा चांदी कूटने की बात सामने आई है लेकिन नियम कड़े नहीं होने और सांठ-गांठ के कारण बात दबा दी जाती है। एसओजी को चाहिए कि अजमेर के प्राईवेट हाॅस्पिटल पर भी पूरा ध्यान दें और जो मनमानी दरें वसूली जा रही है, उस पर अंकुश लगाकर आमजन को राहत पहुंचाए।
जल्द शुरू होगी जांच
अदालत ने जो आदेश दिए हैं इस संबंध में एसओजी के एडीजी उमेश मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि आदेश होने की जानकारी मिली है लेकिन फिलहाल आदेश नहीं मिले है। आदेश मिलते ही इस ओर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Thursday, 11 May 2017

स्वास्थ्य संकुल में मचा घमासान, सीएमएचओ और डिप्टी सीएमएचओ भिड़े


आपत्तिजनक टिप्पणियों से महिला कर्मचारी शर्मसारअजमेर के स्वास्थ्य संकुल में उस समय घमासान मच गया जब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ के.के. सोनी और उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ लाल थदानी भिड़ पड़े। वाकया बुधवार शाम का है। दोनों के बीच जमकर कहासुनी हुई, बात गाली गलौच और आपत्तिजनक टिप्पणियों तक पहुंच गई। दोनों के बीच हुए झगड़े की बात भी कबूल कर  ली गई।
डिप्टी सीएमएचओ डाॅ लाल थदानी बुधवार शाम को कुछ डाटा फीडिंग आॅपरेटर्स को लेकर सीएमएचओ डाॅ के के सोनी के पास गए और उनका काम करने से मना करने के संबंध में पूछा। इस पर डाॅ सोनी भड़क गए और उन्होंने ऐसा कुछ भी कहने से इंकार कर दिया तो आॅपरेटर्स ने उन्हें झुठलाते हुए कहा कि आपके द्वारा ही हमें आदेश दिए गए हैं कि डाॅ थदानी का कोई भी काम नहीं करें अन्यथा उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। इस सब बातों को सुनकर डाॅ थदानी भी तैश में आ गए और उन्होंने सीएमएचओ डाॅ सोनी को बुरा भला कहना शुरू कर दिया। डाॅ सोनी भी कहां पीछे रहने वाले थे दोनों में जमकर कहासुनी हुई, गाली गलौच हुई और ऐसी आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई जिसे सुनकर मातहत महिला कर्मचारी तो शर्मसार हो गई। जैसे तैसे दोनों को शांत करवाया गया। इसके बाद डाॅ सोनी ने अपने मातहत कर्मचारियों की बैठक लेकर डाॅ थदानी द्वारा लगाए गए आरोपों के संबंध में पूछा कि क्या वह सही कह रहे हैं। उन्हें ऐसा करने की क्या जरूरत है? सभी मातहत कर्मचारियों ने भी डाॅ सोनी को सही करार दिया।
किसने किया झगड़ा?
जब झगड़े के संबंध में डाॅ सोनी से दुरभाष पर जानकारी चाही गई तो वह बिलकुल मुकर गए। उन्होंने कहा कि कौनसा झगड़ा, किसने किया झगड़ा? जिसने किया उसी से पूछिए। इतना कहकर फोन काट दिया। वहीं जब डाॅ लाल थदानी से मामले की जानकारी चाही गई तो उन्होंने कबूला कि झगड़ा हुआ था। उन्होंने तर्क दिया कि उन्हें पूरी तरह परेशान किया जा रहा है ना तो सरकारी गाड़ी दी जा रही, ना ही कोई कर्मचारी उनका काम करता है। स्वाईन फ्लू की भी टीम बना रखी है लेकिन उसमें सीएमएचओ डाॅ सोनी उन्हें कुछ करने नहीं देते। ऐसे में वह पोस्ट पर होते हुए भी हीन भावना के शिकार हो रहे हैं।
सुबह हुआ भरत मिलाप
स्वास्थ्य संकुल के कार्मिकों की मानें तो डाॅ लाल थदानी ने शाम को हुए वाकये को लेकर डाॅ के.के.सोनी से माफी भी मांगी है और गले मिलकर आपसी गिले शिकवे दुर भी करे। डाॅ सोनी ने भी उनके खिलाफ लिखे गए शिकायती पत्र को वापस लेने की बात कही है।
संयुक्त निदेशक को लिखा पत्र
एक ओर तो डाॅ सोनी झगड़ा होने से ही इंकार कर रहे थे वहीं दुसरी ओर उन्होंने संयुक्त निदेशक को पत्र लिखकर अपने साथ डयूटी आॅवर्स में डाॅ थदानी द्वारा अभद्र व्यवहार करने संबंधी शिकायत की है। संयुक्त निदेशक डाॅ गजेन्द्र सिंह सिसोदिया ने कहा कि डाॅ सोनी ने पत्र देकर डाॅ थदानी की शिकायत की है। इसकी जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि डाॅ थदानी की आए दिन शिकायतें मिल रही है। किसी ना किसी कर्मचारी को परेशान कर रहे हैं।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Tuesday, 9 May 2017

ब्लाॅग लिखने के बाद नेत्रहीन अभ्यर्थी को माना नौकरी का पात्र


राजस्थान लोक सेवा आयोग ने नेत्रहीन अभ्यर्थी को नौकरी का पात्र मान लिया है। इससे नेत्रहीन अभ्यर्थी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
मैंने 6 अप्रेल को 16 नम्बर के ब्लाॅग में ‘‘राजस्थान लोक सेवा आयोग की साख पर सवाल’’ शीर्षक से ब्लाॅग लिखा था जिसमें एलडीसी भर्ती परीक्षा-2013 के नेत्रहीन अभ्यर्थी राकेश कुमार जांगिड़ के मामले में आरपीएससी की लापरवाही को उजागर किया था। ब्लाॅग के बाद अधिकारियों ने अभ्यर्थी को आयोग कार्यालय बुलाकर पुनः उसकी ओएमआर शीट सहित अन्य दस्तावेज लिए। इसके बाद सोमवार को अभ्यर्थी राकेश का परिणाम बताते हुए नौकरी का पात्र बताया। राकेश जांगिड़ ने आज सुबह मुझे यह खबर देकर शुक्रिया जताया।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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चैयरमेन साब हमें अधिकारियों से बचाओ


अजमेर विकास प्राधिकरण में अधिकारियों के भ्रष्टाचार को लेकर ठेकेदारों ने मोर्चा खोल दिया है। ठेकेदारों  ने चैयरमेन शिवशंकर हेड़ा से इसकी शिकायत कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। चैयरमेन ने जांच करवाकर तुरंत दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।
एडीए के ठेकेदार मंगलवार को लामबंद होकर चैयरमेन शिवशंकर हेड़ा के पास पहुंचे। उन्होंने शिकायत के लहजे में कहा कि यहां के भ्रष्टाचार से वह बुरी तरह परेशान हो गए हैं। यह सुनकर हेड़ा के भी कान खड़े हो गए। हेड़ा ने ठेकेदारों से पूरी बात जानी तो सामने आया कि ठेकेदारों की फाईलें रोक ली जाती है, हर काम के बदले अधिकारियों को उनका हिस्सा पहुंचाना पड़ता है। हिस्सा नहीं पहुंचता तो काम मिलने में परेशानी आती है। यह शिकायतें सुनकर हेड़ा ने इसकी जांच जल्द से जल्द करवाने और दोषियों पर कार्रवाई की बात कही है। ठेकेदारों ने भी साफ कहा कि यदि जल्द ही भ्रष्टाचार नहीं रूका तो वह सभी काम काज बंद करके आंदोलन पर उतर आएंगे।
अब शिकायत क्यों?
ठेकेदारों ने हालांकि एडीए में काम दिलवाने, फाईल को पास करने, पेमेण्ट करवाने के लिए अधिकारियों द्वारा रिश्वत लेने की शिकायत की है। लेकिन सवाल तो यह उठता है कि क्या यह सब पहली बार हो रहा है, या फिर अब पहले से ज्यादा हो रहा जिसे ठेकेदार वहन नहीं कर पा रहे? इस पूरे मामले में ठेकेदारों ने भी कहा कि उन्हें चैयरमने हेड़ा पर भरोसा है, वह अवश्य ही उन्हें राहत दिलवाएंगे। वहीं हेड़ा ने कहा कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा और उनके खिलाफ जांच कमेटी गठित कर जांच करवाई जाएगी।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Monday, 8 May 2017

डीजीपी भट्ट ने शादी के 34 साल किए पूरे


शादी की सालगिरह पर भी की अजमेर विजिट
राजस्थान पुलिस के महानिदेशक मनोज भट्ट ने सोमवार को अपने दाम्पत्य जीवन के 34 साल पूरे कर लिए। अजमेर में नारेली के जीआरपी अन्वेषण समारोह में उन्होंने इसकी जानकारी मौजूदा पुलिस कार्मिकों को दी। इसके बाद भट्ट को सभी ने शुभकामनाएं दी और दोनों का साथ लम्बे समय तक बना रहे इसके लिए भगवान से प्रार्थना की।
डीजीपी भट्ट ने सालगिरह पर अजमेर का दौरा कर यह सिद्ध कर दिया कि कार्य ही पूजा है। वह पुलिस के मुखिया है, वह चाहते तो आज के समारोह को किसी ओर दिन भी शिफ्ट कर सकते थे लेकिन उन्होंने आज ही सभी कार्यक्रमों में शिरकत कर अधिकारियों की बैठक भी ली। भट्ट ने नारेली में समारोह को संबोधित करते हुए जवानों और अधिकारियों को कहा कि अपनी डयूटी सर्वप्रथम है, इसमें किसी तरह की कोताही ना बरतें और आमजन की सुरक्षा व उनके अधिकारों की रक्षा का जो उनका जिम्मा है, उस पर पूरी तरह खरे उतरें। डीजीपी भट्ट का समारोह में शादी की सालगिरह का उदाहरण देने का एकमात्र उद्देश्य था कि अधिकारी से लेकर जवान स्तर तक के व्यक्ति को यह समझ आ जाए कि जब पुलिस का मुखिया अपने काम के प्रति इतना सजग है तो फिर उन्हंे भी होना चाहिए।
आप भी विवाहित हैं
डीजीपी भट्ट ने समारोह में मजाकिया लहजे में कहा कि शादी की सालगिरह है। ऐसे में घर जल्दी पहुंचना है, इसलिए उनका ज्यादा समय खराब नहीं करें। आप भी अधिकांश विवाहित है तो भारतीय पत्नी को जानते ही हैं।  उनकी इस बात पर सभी अधिकारी और कर्मचारी खिलखिलाकर हंस उठे।
जुलाई में होंगे रिटायर्ड
आपको बता दें कि डीजीपी भट्ट जुलाई माह में सेवानिवृत होने जा रहे हैं। उनके स्थान पर पुलिस का मुखिया किसे बनाया जाएगा, यह सरकार के लिए भी कश्मकश बना हुआ है। भट्ट कार्यकाल के दौरान किसी तरह के विवादों में नहीं रहे और बेदाग अपनी नौकरी पूरी कर सेवानिवृत हो जाएंगे।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Sunday, 7 May 2017

प्रतिष्ठित व्यापारी विजय गर्ग के खिलाफ 65 लाख हड़पने का मामला दर्ज


अजमेर के प्रतिष्ठित व्यापारी ने व्यापार में साझेदारी का झांसा देकर भीलवाड़ा के व्यापारी से 65 लाख रूपए हड़प लिए। सिविल लाईन थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
अजमेर के जाने माने व्यापारी विजय गर्ग के खिलाफ भीलवाड़ा के व्यापारी भरत शर्मा ने रिपोर्ट देकर बताया कि उसके भीलवाड़ा निवासी मित्र नवीन अग्रवाल ने विजय गर्ग से उसकी मुलाकात करवाई थी। इसके बाद विजय गर्ग से उसकी दोस्ती हो गई। दोस्ती करने के बाद विजय गर्ग ने दुपहिया वाहन के शोरूम में हिस्सेदारी डालने की बात कहते हुए 65 लाख रूपए की डिमांड की। उसने एक साल पहले रूपए दे दिए। रूपए की एवज में उसे 5 दस लाख के तीन और दस लाख के 5 चैक गारंटी के तौर पर दे दिए और तीस फीसदी की हिस्सेदारी होने व हर माह लाभ देने का वादा किया। इसके बाद आज दिन तक उसने कोई लाभ नहीं दिया। जब भी लाभ देने की बात की जाती उसे दुसरी बातों में उलझाकर टाल दिया जाता। जब उसने दबाव बनाकर कहा तो उसने जल्द ही रूपए लौटाने का आश्वासन दिया। ऐसा करते हुए जब एक साल हो गया तो उसे रूपए हड़पे जाने का अहसास हुआ। सिविल लाईन थानाधिकारी करण सिंह ने बताया कि आरोपी विजय गर्ग के खिलाफ धोखाधड़ीपूर्वक रूपए हड़पने के संबंध में आईपीसी की धारा 420 और 406 के तहत मुकदमा दर्ज करके पूछताछ की जा रही है।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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आखिर बेचारा आदमी क्या करे?


आदमी को बेचारा लिखा पढ़ कर आप हैरान हो रहे होंगे लेकिन यह सच है। इन दिनों कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनमें यदि आदमी ने पत्नी के कहे पर मां-बाप को नहीं छोड़ा तो उसे कई प्रताडनाओं से गुजरना होता है। अब ऐसे में आदमी या तो मां-बाप को चुन ले या फिर प्रताडनाओं को। ऐसा ही एक उदाहरण अजमेर में भी देखने को मिला।
अजमेर के क्रिश्चयनगंज थाना क्षेत्र के पंचशील नगर निवासी फेशन डिजाइनर सेम डेविड का विवाह वर्ष 2014 में मध्यप्रदेश के धार निवासी प्रियंका से हुआ था। डेविड के पिता प्रकाश ने बताया कि शादी के बाद अधिकांश समय प्रियंका अपने पीहर में ही रही। इसका मुख्य कारण था उसकी कैंची जैसी तेज जुबान। वह ना सास को ना ससुर को और ना ही पति को कुछ समझती। ऐसे में झगड़ा होता और वह फिर अपने पीहर को चली जाती। इसमें उसके परिवार वाले भी उसकी पैरवी करते। प्रकाश ने कहा कि फरवरी माह में अंतिम बार उसकी बहु प्रियंका घर छोड़कर गई थी और अब तक वापस नहीं लौटी। दो दिन पहले उसने फोन करके बुरा भला कहा और बेटे सेम को धमकाया। इससे सेम डिप्रेशन में चल रहा था और उसने इसी डिप्रेशन में आकर विषाक्त गटककर खुदकुशी का प्रयास किया। आपको बता दूं कि सेम ने विषाक्त गटकने से पहले सुसाईड नोट भी लिखा जिसमें उसने साफ लिखा कि उसकी पत्नी चाहती है कि वह उसके मां-बाप से दुर उसके साथ अलग रहे, लेकिन वह मां-बाप को नहीं छोड़ सकता। उसकी मांग पूरी नहीं करने पर उसने दहेज का केस दर्ज करवाकर पूरे परिवार को जेल की हवा खिलाने की धमकी दी। इससे परेशान होकर वह जिंदगी की डोर तोड़ रहा है। सेम के विषाक्त गटकते ही उसे तुरंत अस्पताल पहुंचा दिया गया । फिलहाल वह जेएलएन अस्पताल में उपचाररत है।
यह सेम का अकेले का मामला नहीं है कई ऐसे व्यक्ति है जो अपनी पत्नी के कारण मां-बाप को अकेला छोडकर जीने को मजबूर है, क्योंकि यदि पत्नी की बात नहीं मानेंगे तो फिर वही दहेज का केस और थाने चैकी के चक्कर। इससे बचने के लिए कई लोग मां-बाप से अलग जाकर रहते हैं। हालांकि वह मां-बाप को छोड़ना नहीं चाहते लेकिन उनको दुसरा रास्ता भी नहीं दिखता और जो मां-बाप व पत्नी में से एक को नहीं चुन पाता तो वह बेचारा खुदकुशी कर लेता है।
न्यायालय सिखाए सबक
रिटायर्ड न्यायाधीश वी.के.मेहता ने बताया कि ऐसे मामलों पर अंकुश लगाने के लिए माता पिता को विशेष ध्यान देना होगा। बच्चों को संस्कारी बनाएं जिससे कि वह इस तरह के कदम के बारे में सोचे भी नहीं। माता-पिता केवल भरण पोषण तक ही सीमित ना रहें। दुसरा न्यायालय को इस तरह कानून का दुरूपयोग करने वाली महिलाओं के खिलाफ जल्दी से एक्शन लेना चाहिए जिससे कि दुसरे लोग दुरूपयोग करने से कतराए। उन्होंने कहा कि जिस तरह दहेज मामले में सुधार किए गए, उसी तरह बदलते परिवेश के अनुसार कानून में बदलाव होना चाहिए।
पुरूष आयोग बने!
ऐसे माहौल में महिला आयोग की तर्ज पर पुरूष आयोग की स्थापना की मांग भी उठना लाजमी है। युवा अधिवक्ता जिनेश सोनी ने बताया कि अमरिका में तो पुरूष आयोग बनाया हुआ है। जिसमें पुरूषों से संबंधित शिकायतों को गंभीरता से लिया जाता है और कार्रवाई होती है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में भी सबके लिए कानून है लेकिन इनमें गंभीरता नहीं दिखाई जाती। महिलाओं द्वारा दर्ज मामलों में पुलिस भी और न्यायालय भी गंभीरता दिखाती है भले ही वह झूठा ही क्यों ना हो। सोनी ने यह भी कहा कि देश में महिला उत्पीड़न से संबंधित दर्ज मामलों में से 90 फीसदी में आरोपी बरी हो जाता है और केवल मात्र 10 फीसदी में ही सजा होती है। उन्होंने कहा कि कानून का डर दिखाकर लोगों को प्रताडित करने वाली महिलाओं पर जब तक कोर्ट प्रसंज्ञान लेकर कार्रवाई नहीं करेगा तब तक यह मामले बढ़ते ही जाएंगे।
एकाकी परिवार दुखदायी
आज ही किसी महिला पुलिस अधिकारी ने एक फोटो शेयर की थी जिसमें बताया गया था कि पहले लैण्डलाईन था तो परिवार सम्मिलित था और मोबाईल आया तो सब अलग-थलग हो गए। यही हाल परिवारों का हो रहा है। सम्मिलित परिवार में जो आनंद है वह एकाकी परिवार में बिलकुल नहीं है। ऐसे में सम्मिलित परिवार का हिस्सा बनें और उसके लाभ उठाएं।
 सेम डेविड की जल्द सेहतमंदी के लिए भगवान से प्रार्थना करता हूं साथ ही ऐसी सोच रखने वाली पत्नियों को भी सद्बुद्धि मिले जिससे कि पति और ससुराल के लोग आनंदमय जीवन व्यतीत कर सके।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Friday, 5 May 2017

स्थानीय डाॅक्टर्स को पछाड़कर जेएलएन अस्पताल अधीक्षक बने डाॅ मल्होत्रा


सुपर स्पेशलिटी को बढ़ावा देना रहेगा प्राथमिकता
जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के अधीक्षक पद दौड़ में शामिल सभी स्थानीय  चिकित्सकों को पछाड़ते हुए किडनी रोग विशेषज्ञ डाॅ विनय कुमार मल्हौत्रा अधीक्षक बने हैं। मल्होत्रा वर्तमान में जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में सेवाएं दे रहे हैं।
राज्य सरकार ने आदेश जारी कर जयपुर, अजमेर, जोधपुर, बीकानेर और उदयपुर अस्पताल के अधीक्षक के पदों पर नियुक्ति कर दी है। अजमेर के जेएलएन अस्पताल का अधीक्षक जयपुर निवासी और एसएमएस अस्पताल में ही लम्बे समय से सेवाएं दे रहे डाॅ विनय कुमार मल्होत्रा को बनाया है। डाॅ मल्होत्रा ने दुरभाष पर जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने एमबीबीएसएस और एमडी एमएमएस मेडिकल काॅलेज से ही की। इसके बाद यहीं सेवाएं दी। उन्होंने कहा कि अस्पताल में सुपर स्पेशलिटी बढ़ावा उनकी प्राथमिकता रहेगी। मरीजों के इलाज पर पूरा ध्यान देना, साफ-सफाई, मरीजों से अच्छा व्यवहार और मुख्यमंत्री दवा और जांच योजना का मरीजों को लाभ दिलवाने पर भी विशेष ध्यान देंगे।
नेताओं की नहीं चली
अस्पताल में जैसे ही डाॅ मल्होत्रा के आदेश जारी होने की खबर मिली तो किसी के भी यह बात गले नहीं उतरी। हर कोई सोचने पर मजबूर हो गया कि आखिर डाॅ मल्होत्रा को अजमेर अधीक्षक कैसे लगाया गया। कई डाॅक्टर्स ने तो यह तक कहा कि यहां के नेताओं में दम नहीं होने के कारण ही बाहरी डाॅक्टर को अधीक्षक बनाया गया है। अधीक्षक तो हमेशा से ही स्थानीय को लगाया जाता है जिससे कि अस्पताल प्रबंधन और शहर के लोगों के बीच में तालमेल बना सके।
बदलेगी व्यवस्थाएं
राज्य सरकार ने जिस तरह डाॅ मल्होत्रा को अजमेर अस्पताल में तैनात किया है। इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार भी विभिन्न प्रकरणों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधारना चाहती है। डाॅ मल्होत्रा के आने से किड़नी रोग विभाग स्थापित होगा और अन्य सुपर स्पेशलिटी वार्ड भी बनेंगे। वहीं बताया जाता है कि डाॅ मल्होत्रा अपने काम के प्रति पूर्ण इमानदारी बरतते हैं तो इसका मतलब वह अस्पताल के डाॅक्टर्स या अन्य स्टाॅफ से भी पूरा काम लंेगे और भ्रष्टाचार के लगे आरोपों से भी अस्पताल को छुटकारा दिलवाएंगे।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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तो अब हिमांशु गुप्ता बनाएंगे अजमेर को स्मार्ट!


77 आईएएस और 46 आईपीएस का तबादला, राजेन्द्र सिंह होंगे एसपी अजमेर
अजमेर को स्मार्ट बनाने में कोई प्रभावी भूमिका नहीं निभा पाने पर कार्मिक विभाग ने प्रियव्रत पांडया को हटाकर इसकी जिम्मेदारी युवा एवं ऊर्जावान आईएएस हिमांशु गुप्ता को दी है। गुप्ता नगर निगम के आयुक्त भी रहेंगे। जबकि पांडया को अजमेर में ही रखते ही अतिरिक्त संभागीय आयुक्त पद पर तैनात किया है।
काफी लम्बे समय से जिस लम्बी तबादला सूची का इंतजार किया जा रहा था। शुक्रवार को कार्मिक विभाग ने 77 आईएएस और 46 आईपीएस की सूची जारी कर दी। इसमें 13 जिलों के कलक्टर को भी बदला गया है। अजमेर में नगर निगम के आयुक्त पद पर रहते हुए कोई खास काम नहीं कर पाने के कारण प्रियव्रत पांडया को भी यहां से हटाकर अतिरिक्त संभागीय आयुक्त बनाया है। इनके स्थान पर वर्ष 2012 बैच के मूल रूप से लुधियाना के रहने वाले हिमांशु गुप्ता को निगम का आयुक्त बनाया गया है और साथ ही उनको अजमेर स्मार्ट सिटी प्राईवेट लिमिटेड का भी मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया है। गुप्ता वर्तमान में अलवर यूआईटी के सचिव पद पर तैनात हैं। अलवर के कामकाज से प्रभावित होकर ही उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। अजमेरवासियों को भी अब ऊर्जावान गुप्ता के आने से शहर के स्मार्ट बनने की उम्मीद जगेगी। नहीं तो अब तक कांग्रेस ही नहीं बल्कि शहरवासी भी यही सवाल करते नजर आते हैं कि शहर केवल कागजों में ही स्मार्ट बना है, आखिर वाकई स्मार्ट कैसे बनेगा और कब बनेगा?
इन जिलों के कलक्टर बदले
विभाग की सूची में बीकानेर, जालौर, जोधपुर, जैसलमेर, झुंझुनू, कोटा, पाली, सीकर, उदयपुर, डूंगरपुर, भीलवाड़ा, अलवर, नागौर, बाड़मेर, बूंदी जिलों के कलक्टर भी बदले गए हैं। इसके साथ ही पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग के महानिरीक्षक नन्नूमल पहाड़िया के स्थान पर डाॅ राजेश शर्मा को लगाया गया है जबकि उन्हें कृषि विपणन का निदेशक व पदेन संयुक्त सचिव लगाया है। मोडूदान देथा को राजस्व मण्डल में सदस्य नियुक्त किया गया है।
राजेन्द्र सिंह होंगे अजमेर एसपी
अजमेर की बिगड़ी कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने झालावाड़ जिला पुलिस अधीक्षक रहे राजेन्द्र सिंह को अजमेर लगाया है। राजेन्द्र सिंह प्रमोटिव आईपीएस है और खासे अनुभव भी हैं। राजेन्द्र सिंह  पुलिस हेडक्वार्टर में क्राईम ब्रांच के एसपी, कोटा ग्रामीण के एसपी भी रह चुके हैं। संभवतया राजेन्द्र सिंह के अजमेर लगने से यहां की व्यवस्थाएं सुधर जाए और आमजन को राहत मिले।
इन जिलों के एसपी बदले
कार्मिक विभाग ने अजमेर, भरतपुर, जोधपुर ग्रामीण, गंगानगर, कोटा शहर, कोटा ग्रामीण बीकानेर, श्रीगंगानगर, सिरोही, बांसवाड़ा, जीआरपी, झुंझुनू, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, जालौर, हनुमानगढ़, सवाई माधोपुर, राजसमंद, झालावाड़, बूंदी के एसपी को भी बदला है।
जमे रहेंगे गौरव गोयल
अजमेर जिला कलक्टर गौरव गोयल ने अच्छे कार्य करके मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को दिखा दिया है कि उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी गई उस पर पूरी तरह खरे उतरे हैं। इसको लेकर ही इस तबादला सूची में उनका नाम शामिल नहीं है। अगले कुछ समय तक भी गोयल को नहीं छेड़ा जाएगा। गोयल की शक्ति को बढ़ाने के लिए ही युवा निगम आयुक्त गुप्ता को लगाया गया है। जिससे कि दोनों मिलकर अजमेर को स्मार्ट बनाएं।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
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Wednesday, 3 May 2017

एयरपोर्ट के नाम पर मचा हुआ है बवाल



अजमेर के मार्बल नगरी किशनगढ़ में बनाए जा रहे एयरपोर्ट के नाम को लेकर जमकर बवाल मचा हुआ है। हर कोई या तो अपने ईष्ट या कोई तर्क देकर नाम सुझा रहा है। इसको लेकर सोशल मीडिया पर तो मानों जंग सी छिड़ी हुई है।
अजमेर के मार्बल नगरी किशनगढ़ के एयरपोर्ट पर जब से पहला चार्टर प्लेन उतरा है तब से हर कोई यहां के नाम को लेकर उलझ रहा है। अजमेर में ही नहीं बल्कि पूरे जिले और यहां तक की आस-पास के जिलों में भी इसके नाम को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है। हर कहीं लोग अपना नाम बताकर उसके पीछे तर्क देना शुरू कर देते हैं। लोगों ने तो इस पर पोलिंग भी शुरू करवा दी है और लोग एक दुसरे को भेजकर अपने नाम का एयरपोर्ट बनवाने के लिए अधिक से अधिक वोट करने की मांग कर रहे हैं। अजमेर शहर के एक वरिष्ठ वकील साहब ने भी अपने फेसबुक पेज पर ख्वाजा साहब के नाम से एयरपोर्ट बनाने का प्रस्ताव रखा तो उनकी पोस्ट पर भी लोगों में जमकर वाद विवाद हुए। एक महाशय ने तो यहां तक कह दिया कि अपने घर में क्या होगा यह तो तय कर नहीं पाते और यहां एयरपोर्ट का नाम तय करने चले हैं। यह तो बात हुई वकील साहब की पोस्ट की लेकिन यही हाल फेसबुक पर अन्य पोस्ट और कई व्हाॅटसएप ग्रुप में भी यही चर्चा चल रही है। अब इन बुद्धिजीवियों को कौन समझाए कि उनके पोलिंग करने, जिला कलक्टर को ज्ञापन देने या सोशल मीडिया पर रिएक्शन देने से एयरपोर्ट का नाम सलेक्ट नहीं होगा। आपको बता दें कि लोगों की इस प्रतिक्रियाओं के बारे में जब एयरपोर्ट के महाप्रबंधक संजीव जिंदल को जानकारी हुई तो उन्होंने गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट के नामकरण को लेकर बेवजह माहौल खराब नहीं करें।
यह है नामकरण के प्रस्ताव
एयरपोर्ट का नाम जगतपिता ब्रह्मा, सम्राट पृथ्वीराज चैहान, ख्वाजा गरीब नवाज, लोकदेवता तेजाजी, दाहरसेन, झूलेलाल, बणीठणी, मार्बल नगरी, अजयमेरू, अजमेर, किशनगढ़ सहित अन्य पर रखने का तर्क दे रहे हैं और दुसरे नाम का समर्थन करने वाले को गलत ठहराने का प्रयास किया जा रहा है। एयरपोर्ट के नामकरण के चक्कर में कहीं ऐसा ना हो कि कोई संगठन आपस में भिड़ जाए और इसके बुरे परिणाम झेलने पड़े।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार),अजमेर
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