Sunday 7 May 2017

आखिर बेचारा आदमी क्या करे?


आदमी को बेचारा लिखा पढ़ कर आप हैरान हो रहे होंगे लेकिन यह सच है। इन दिनों कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनमें यदि आदमी ने पत्नी के कहे पर मां-बाप को नहीं छोड़ा तो उसे कई प्रताडनाओं से गुजरना होता है। अब ऐसे में आदमी या तो मां-बाप को चुन ले या फिर प्रताडनाओं को। ऐसा ही एक उदाहरण अजमेर में भी देखने को मिला।
अजमेर के क्रिश्चयनगंज थाना क्षेत्र के पंचशील नगर निवासी फेशन डिजाइनर सेम डेविड का विवाह वर्ष 2014 में मध्यप्रदेश के धार निवासी प्रियंका से हुआ था। डेविड के पिता प्रकाश ने बताया कि शादी के बाद अधिकांश समय प्रियंका अपने पीहर में ही रही। इसका मुख्य कारण था उसकी कैंची जैसी तेज जुबान। वह ना सास को ना ससुर को और ना ही पति को कुछ समझती। ऐसे में झगड़ा होता और वह फिर अपने पीहर को चली जाती। इसमें उसके परिवार वाले भी उसकी पैरवी करते। प्रकाश ने कहा कि फरवरी माह में अंतिम बार उसकी बहु प्रियंका घर छोड़कर गई थी और अब तक वापस नहीं लौटी। दो दिन पहले उसने फोन करके बुरा भला कहा और बेटे सेम को धमकाया। इससे सेम डिप्रेशन में चल रहा था और उसने इसी डिप्रेशन में आकर विषाक्त गटककर खुदकुशी का प्रयास किया। आपको बता दूं कि सेम ने विषाक्त गटकने से पहले सुसाईड नोट भी लिखा जिसमें उसने साफ लिखा कि उसकी पत्नी चाहती है कि वह उसके मां-बाप से दुर उसके साथ अलग रहे, लेकिन वह मां-बाप को नहीं छोड़ सकता। उसकी मांग पूरी नहीं करने पर उसने दहेज का केस दर्ज करवाकर पूरे परिवार को जेल की हवा खिलाने की धमकी दी। इससे परेशान होकर वह जिंदगी की डोर तोड़ रहा है। सेम के विषाक्त गटकते ही उसे तुरंत अस्पताल पहुंचा दिया गया । फिलहाल वह जेएलएन अस्पताल में उपचाररत है।
यह सेम का अकेले का मामला नहीं है कई ऐसे व्यक्ति है जो अपनी पत्नी के कारण मां-बाप को अकेला छोडकर जीने को मजबूर है, क्योंकि यदि पत्नी की बात नहीं मानेंगे तो फिर वही दहेज का केस और थाने चैकी के चक्कर। इससे बचने के लिए कई लोग मां-बाप से अलग जाकर रहते हैं। हालांकि वह मां-बाप को छोड़ना नहीं चाहते लेकिन उनको दुसरा रास्ता भी नहीं दिखता और जो मां-बाप व पत्नी में से एक को नहीं चुन पाता तो वह बेचारा खुदकुशी कर लेता है।
न्यायालय सिखाए सबक
रिटायर्ड न्यायाधीश वी.के.मेहता ने बताया कि ऐसे मामलों पर अंकुश लगाने के लिए माता पिता को विशेष ध्यान देना होगा। बच्चों को संस्कारी बनाएं जिससे कि वह इस तरह के कदम के बारे में सोचे भी नहीं। माता-पिता केवल भरण पोषण तक ही सीमित ना रहें। दुसरा न्यायालय को इस तरह कानून का दुरूपयोग करने वाली महिलाओं के खिलाफ जल्दी से एक्शन लेना चाहिए जिससे कि दुसरे लोग दुरूपयोग करने से कतराए। उन्होंने कहा कि जिस तरह दहेज मामले में सुधार किए गए, उसी तरह बदलते परिवेश के अनुसार कानून में बदलाव होना चाहिए।
पुरूष आयोग बने!
ऐसे माहौल में महिला आयोग की तर्ज पर पुरूष आयोग की स्थापना की मांग भी उठना लाजमी है। युवा अधिवक्ता जिनेश सोनी ने बताया कि अमरिका में तो पुरूष आयोग बनाया हुआ है। जिसमें पुरूषों से संबंधित शिकायतों को गंभीरता से लिया जाता है और कार्रवाई होती है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में भी सबके लिए कानून है लेकिन इनमें गंभीरता नहीं दिखाई जाती। महिलाओं द्वारा दर्ज मामलों में पुलिस भी और न्यायालय भी गंभीरता दिखाती है भले ही वह झूठा ही क्यों ना हो। सोनी ने यह भी कहा कि देश में महिला उत्पीड़न से संबंधित दर्ज मामलों में से 90 फीसदी में आरोपी बरी हो जाता है और केवल मात्र 10 फीसदी में ही सजा होती है। उन्होंने कहा कि कानून का डर दिखाकर लोगों को प्रताडित करने वाली महिलाओं पर जब तक कोर्ट प्रसंज्ञान लेकर कार्रवाई नहीं करेगा तब तक यह मामले बढ़ते ही जाएंगे।
एकाकी परिवार दुखदायी
आज ही किसी महिला पुलिस अधिकारी ने एक फोटो शेयर की थी जिसमें बताया गया था कि पहले लैण्डलाईन था तो परिवार सम्मिलित था और मोबाईल आया तो सब अलग-थलग हो गए। यही हाल परिवारों का हो रहा है। सम्मिलित परिवार में जो आनंद है वह एकाकी परिवार में बिलकुल नहीं है। ऐसे में सम्मिलित परिवार का हिस्सा बनें और उसके लाभ उठाएं।
 सेम डेविड की जल्द सेहतमंदी के लिए भगवान से प्रार्थना करता हूं साथ ही ऐसी सोच रखने वाली पत्नियों को भी सद्बुद्धि मिले जिससे कि पति और ससुराल के लोग आनंदमय जीवन व्यतीत कर सके।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
9252958987
FB Page- Navin Vaishnav
navinvaishnav5.blogspot.com

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